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Panda Diplomacy: जापान और अमेरिका जैसे देशों को ये खास गिफ्ट देकर मालामाल हो गया चीन, जानें क्या है जिनपिंग की खतरनाक पांडा डिप्लोमेसी?

Panda Diplomacy: जापान और अमेरिका जैसे देशों को ये खास गिफ्ट देकर मालामाल हो गया चीन, जानें क्या है जिनपिंग की खतरनाक पांडा डिप्लोमेसी?

हजारों जापानी प्रशंसकों ने अपने आंसू पोंछते हुए, जापानी मूल के एक प्यारे विशाल पांडा को विदाई दी। चीन के लिए रवानगी भरने वाले चार पांडा में से एक का जन्म 2017 में टोक्यो के यूनो चिड़ियाघर में हुआ था। एक आगंतुक युकी की मानें तो जियांग नामक पांडा न केवल प्यारा है, बल्कि आकर्षक और मजाकिया भी है। वह इतनी आकर्षक है कि आप उसे एक बार देख लें तो बार बार देखने का मन करता है। लेकिन जापान ने चीन के तोहफो को वापस उसी के मुल्क भेज दिया है। कोई पहली बार नहीं है कि पांडा को वापस उसके मुल्क भेजा गया हो। ऐसे कई मामले हैं जब पांडा को चिड़ियाघर में रखने के बाद उसके मुल्क भेजा गया हो। ऐसे में आइए इसके पीछे की कहानी को समझते हैं।

पांडा दक्षिण मध्य चीन में पाया जाने वाला भालू प्रजाति का एक जानवर है ये तो आप सभी जानते हैं। ये पांडा चूकिं चीन में ही पाया जाता है। इसलिए चीन के राष्ट्र की पहचान भी कहा जाता है। जिन देशों के साथ चीन के अच्छे संबंध होते हैं। अथवा जिन देशों के साथ चीन अपने संबंधों को सुधारना चाहता है तो उसे उपाहार के तौर पर पांडा ही भेंट करता है। इससे पता चलता है कि चीन इन देशों के साथ अपने संबंध को महत्ता दे रहा है। इसे ही चीन की पांडा कूटनीति कहते हैं। चीन ने 1957 में यूएसएसआर को अपना पहला पांडा पिंग पिंग गिफ्ट के तौर पर दिया था।

निक्सन और माओ की मुलाकात और गिफ्ट में 2 पांडा

1972 में जब अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन पहली बार अपनी ऐतिहासिक यात्रा पर चीन गए थे तो चीन ने उन्हें दो पांडे ही भेंट किए थे। इस यात्रा के बाद से ही चीन और अमेरिका के संबंधों में सुधार हुआ था। इसी के चलते चीन ने ब्रिटेन, जापान और अन्य देशों को भी पांडा भेंट किया था। ताकी इन देशों के साथ उसके संबंध आगे मजबूत हो सके। चीन के बारे में कहा जाता है कि वो हर चीज में कारोबार और मुनाफा देखता है। दुनिया के कई देशों को चीन ने उनके चिड़ियाघरों में रखने के लिए लोन पर पांडा दिए हैं और इसे दोस्ती का नाम दिया।

1972 में जब निक्सन और माओ की मुलाकात के बाद पांडा डिप्लोमेसी शुरू हुई तो न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे नम्रता से लड़ी जाने वाली जंग यानी पोलाइट वॉरफेयर कहा था। चीन ये जानवर अमेरिका और दूसरे देशों को सालान किराए पर देता है। चीन ने साल 1941 से लेकर 1984 तक दूसरे देशों को पांडा गिफ्ट किए। लेकिन 1984 के बाद इस नीति में बदलाव करते हुए वो दूसरे देशों में आने वाले पांडा पर ट्रैक्स लगाना शुरू कर दिया। चीन जिन देशों को पांडा देता है उन्हें हर साल चीन को 1 पांडा के बदले 1 मिलियम की राशि देनी पड़ती है। संरक्षण परियोजनाओं की तरफ से दिए जाते हैं।

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