ट्रंप पर व्हाइट हाउस के खुफिया डॉक्यूमेंट्स चुराने का आरोप; जेल भी हो सकती है
ट्रंप पर व्हाइट हाउस के खुफिया डॉक्यूमेंट्स चुराने का आरोप; जेल भी हो सकती है

CBS न्यूज ने कहा है कि मार-ए-लीगो में FBI की रेड अमेरिका के नेशनल आर्काइव्स रिकॉर्ड के रख-रखाव की जांच से जुड़ी है। आरोप है कि ट्रम्प ने जब पिछले साल व्हाइट हाउस छोड़ा था, तब वो कई डॉक्यूमेंट्स अपने साथ ले गए थे। कई बड़े बॉक्स में यह डॉक्यूमेंट्स मार-ए-लीगो ले जाए गए थे। इसके बाद से ही अमेरिकी खुफिया एजेंसियां ट्रम्प और उनके करीबियों पर नजर रख रहीं थीं।
देखा जाए तो नेशनल आर्काइव्स अमेरिका की सरकारी एजेंसी है। इसके पास राष्ट्रपति से रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी होती है। इस साल फरवरी में अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने सरकारी डॉक्यूमेंट्स की हैंडलिंग को लेकर ट्रम्प के खिलाफ जांच के लिए कहा था।
नियम के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति को अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद सभी ईमेल्स, डॉक्यूमेंट्स और लेटर्स नेशनल आर्काइव्स को सौंपने होते हैं। आरोप है कि ट्रम्प ने कई गोपनीय डॉक्यूमेंट्स को नष्ट कर दिया है और कुछ को अपने घर लेकर चले गए थे। नेशनल आर्काइव्स ने कहा है कि कुछ डॉक्यूमेंट्स को फिर से हासिल किया गया था।
न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकार मैगी हैबरमैन ने अपनी आने वाली किताब ‘कॉन्फिडेंस मैन’ में लिखा है कि व्हाइट हाउस के स्टाफ को कई बार एक टॉयलेट में कागज का गट्ठर मिलता था। इससे टॉयलेट का पाइप भी कई बार ब्लॉक हो जाता था। माना जाता है कि इन डॉक्यूमेंट्स को ट्रम्प ही फ्लश करवाते थे।
वहीं ट्रंप ने सरकारी डॉक्यूमेंट्स के साथ छेड़छाड़ की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और इसे फेक न्यूज बताया था।
व्हाइट हाउस के मुताबिक, ऐसा करने वाला व्यक्ति किसी भी फेडरल ऑफिस में काम से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। यानी वह यहां काम नहीं कर सकता है। चूंकि ट्रंप 2024 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इस कानून के जरिए व्हाइट हाउस में उनकी दोबारा एंट्री नहीं हो पाएगी।
यूनाइटेड स्टेट्स कोड के टाइटल 18 के सेक्शन 2071 इसे एक अपराध बनाता है। यानी यदि कोई व्यक्ति जिसके पास सरकारी डॉक्यूमेंट्स या रिकॉडर्स हैं वह उन्हें जानबूझकर या गैरकानूनी तरीके से छुपाता है, या फिर उन्हें नष्ट करने का दोषी पाया जाता है तो उस पर जुर्माना या 3 साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा कानून कहता है कि यदि व्यक्ति दोषी पाए जाने के वक्त फेडरल ऑफिस में कार्यरत है तो उसे हटा दिया जाएगा और अमेरिका में कहीं भी वह काम नहीं कर सकेगा।
इस आधार पर यदि ट्रंप इस कानून के तहत सरकारी रिकॉर्ड को हटाने, छिपाने या नष्ट करने के दोषी पाए जाते हैं तो हो सकता है कि वह फिर से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ पाएं और उन्हें जेल भी जाना पड़े।
2015 में डेमोक्रेट से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रही हिलेरी क्लिंटन पर भी ऐसा ही आरोप लगा था। हिलेरी पर 2009 से 2013 तक विदेश मंत्री रहते हुए निजी सर्वर से ईमेल भेजने का आरोप था। इस दौरान हिलेरी पर भी राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ पाने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन 2016 में चुनाव से ठीक पहले FBI ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी। साथ ही कहा था कि क्लिंटन के विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान उनके निजी ईमेल के इस्तेमाल में किसी तरह की आपराधिक गतिविधि का मामला नहीं पाया गया है।
क्या पहले भी राष्ट्रपति की ऐसी पड़ताल हुई है?
देखा जाए तो यह पहली बार है कि किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के घर पर FBI ने छापेमारी की कार्रवाई की है। यहां तक कि वॉटरगेट स्कैंडल के बाद रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रपति पद छोड़ने पर भी ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह रेड बिना किसी नोटिस के की गई थी। जिस समय FBI एजेंट्स ने मार-ए-लीगो पर छापा मारा, उस समय खुद ट्रंप वहां नहीं थे।