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Jagannath temple का खजाने वाला कमरा 38 वर्षों से है बंद, जानें क्यों हो रही है लंबे समय बाद खोलने की मांग

Jagannath temple का खजाने वाला कमरा 38 वर्षों से है बंद, जानें क्यों हो रही है लंबे समय बाद खोलने की मांग

ओडिशा के पूरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर चारों धामों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में रोजाना लाखों करोड़ों की संख्या में भक्त दर्शन को पहुंचते है। वहीं अब ओडिशा में जल्द ही विधानसभा और आम चुनाव होने वाले है। इसी बीच पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार (खजाना कक्ष) को खोलने की मांग फिर से तेज हो रही है।

पुरी की जगन्नाथ मंदिर स्थित उसका रत्न भंडार हमेशा से ही श्रद्धालुओं के बीच जिज्ञासा का मुद्दा बना रहा है। चुनाव की चर्चा के बीच एक बार फिर से मंदिर के खजाने को खोलने को लेकर मांग तेज हो गई है। कई राजनीतिक पार्टी होनी है इसलिए का प्रदर्शन भी किया है। इस रत्न भंडार के संबंध में खास बात ये है कि बीते 38 वर्षों से इस रत्न भंडार को खोला नहीं गया है।

जानकारी के मुताबिक रत्न भंडार में दो कमरे हैं जहां भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की आभूषणों को रखा गया है। इसके अलावा यहां खाने-पीने के कई बर्तन भी रखे हुए हैं, जिसे पूर्व समय में राजा महाराजाओं ने मंदिर में चढ़ने के तौर पर दिया था। जानकारी के मुताबिक 12वीं सदी में बने इस मंदिर में उसे समय चीज दान दी गई थी जो अब तक मंदिर में सुरक्षित रखी गई है।

दरअसल इस भंडार गृह में दो हिस्से हैं एक बाहरी और एक आंतरिक। इसके बाहरी से कुछ समय-समय पर खोला जाता है। इसमें डायग्राम में रखिए आभूषणों के जरिए ही भगवान का श्रृंगार किया जाता है। खासतौर से रथ यात्रा के दौरान बाहरी कमरे को खोलकर उसमें से नया आभूषण निकल जाते हैं। लेकिन आंतरिक कैमरा बीते 38 वर्षों से लगातार बंद बड़ा है और इसे खोलने की कई बार मांग हो चुकी है। वर्ष 1978 में अंतिम बार इस आंतरिक कमरे को खोला गया था। आंकड़ों के अनुसार उसे समय रत्न भंडार में लगभग 12000 भरी सोने के गहने और आभूषण थे। बता दें के एक भरी में 11.66 ग्राम सोना होता है। सोने के इन आभूषणों में कीमती पत्थर भी जड़े हुए थे। वही 22000 भरी से अधिक चांदी के बर्तन भी इस कमरे में मौजूद है।

इन कमरों को खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। बता दें कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में इसे खोलने का आदेश दिया था मगर इस कार्रवाई को पूरा नहीं किया जा सका है। इस कमरे को ना खोलने के पीछे कहा गया था कि कमरे की चाबी नहीं मिल रही है, इस कारण कमरे को नहीं खोला गया था। जानकारी के मुताबिक कमरे की चाबी पुरी के कलेक्टर के पास रखी जाती है। तत्कालीन कलेक्टर अरविंद अग्रवाल थे जिन्होंने जानकारी दी थी की चाबी उनके पास नहीं है। चाबी खोने की जानकारी सामने आने के बाद पूरे राज्य में काफी बवाल और हड़कंप मच गया था। इस मामले पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक नहीं भी दखल दिया था और इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच में सामने आया कि एक लिफाफे में दो डुप्लीकेट चाबियां थी जो भीतरी रत्न भंडार की मानी गई है।

अब क्यों उठी मांग

बता दें कि रत्न भंडार को खोलने की मांग बीते वर्ष उठी थी। इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने कई आरोप लगाए थे और खजाना खोलने के लिए जांच की मांग भी की थी। इसी के मद्देनजर मंदिर कमेटी ने सरकार को कहा है कि रत्न भंडार को खोलने की अनुमति मिलनी चाहिए। बता दें कि सिर्फ ओडिशा का जगन्नाथपुरी अकेला ऐसा मंदिर नहीं है बल्कि कई मंदिर हैं जिनके रत्नभंडार खोलने की मांग समय समय पर होती रही है। ऐसा ही एक और मंदिर है केरल राज्य का श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, जो दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में शुमार है। माना जाता है कि इस मंदिर में सात तहखाने हैं, जिनमें से छह तहखाने खोले गए है। इसके अंतिम तहखाने में इनता खजाना है कि उसका अंदाजा लगाया जाना संभव नहीं है।

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