G20 के बाद G77 देशों के साथ चीन की बैठक:BRI प्रोजेक्ट में शामिल होने का न्योता दिया; जयशंकर बैठक में शामिल नहीं हो पाए
G20 के बाद G77 देशों के साथ चीन की बैठक:BRI प्रोजेक्ट में शामिल होने का न्योता दिया; जयशंकर बैठक में शामिल नहीं हो पाए

भारत में 9 और 10 सिंतबर को हुए G20 समिट के बाद दुनिया के विकासशील देशों के संगठन G77 ने क्यूबा के हवाना शहर में एक बैठक की। चीन भी इसमें शामिल हुआ। इस दौरान चीन का प्रतिनिधित्व कर रहे ली शी ने कहा- चीन दुनिया का सबसे बड़ा विकासशील देश है। हम कितनी भी तरक्की कर लें हमेशा ग्लोबल साउथ के सदस्य रहेंगे और विकसाशील देशों का साथ देंगे। चीन ने G77 देशों को उसके बेल्ड एंड रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने का न्योता भी दिया।
दरअसल, भारत और चीन में ग्लोबल साउथ देशों का लीडर बनने की होड़ है। G2O में भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकन यूनियन संगठन का मेंबर बना था। ऐसे में चीन ने इस मौके को नहीं गंवाया जहां दुनिया के सभी विकासशील देश एक मंच पर जुटे थे। G77 देशों ने हवाना से दुनिया में पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ आवाज उठाई। इन देशों की मांगों का संयुक्त राष्ट्र संघ के चीफ एंटोनियो गुटरेस ने भी समर्थन किया। मीटिंग में G20 की अध्यक्षता करने वाले ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा भी शामिल हुए।
G20 के पहले सेशन में प्रधानमंत्री मोदी ने जैसे ही अफ्रीकन यूनियन को G20 मेंबर बनाने का प्रस्ताव पास किया, यूनियन लीडर अजाली असोमानी उनके गले लग गए।
अपने हितों के मुताबिक दुनिया चला रहे पश्चिमी देश
बैठक के दौरान क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज कैनेल ने कहा कि पश्चिमी देश अपने हिसाब और हितों को ध्यान में रख कर दुनिया चला रहे हैं। खेल के नियम बदलना अब हम ग्लोबल साउथ देशों के हाथ में है।
वहीं दुनिया में क्लाइमेट चेंज और कर्ज की समस्या पर बोलते हुए UN चीफ एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दुनिया ने विकासशील देशों को निराश किया है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल स्तर पर क्लाइमेट चेंज जैसी समस्याओं से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समानता लाना जरूरी है।
कोलंबिया के प्रेसीडेंट ने कहा- हम एक-दूसरे को मार रहे
G77 देशों की बैठक में भी यूक्रेन जंग का मुद्दा उठा। इस दौरान कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तोव पेट्रो ने कहा- हम एक-दूसरे को मार रहे हैं। उन्होनें सभी देशों से जंग का मुद्दा उठाने की मांग की इसलिए नहीं कि जंग की वजह से उन्हें रूस और यूक्रेन में से एक देश को चुनना पड़ा रहा है। बल्कि इसलिए की जंग का जल्द समाधान ढूंढा जा सके। उन्होंने ये भी कहा कि रूस-यूक्रेन और इजराइल-फिलिस्तीन के बीच हो रही जंग में कोई फर्क नहीं है।
भारत भी G77 संगठन का मेंबर
भारत हर मंच से खुद को विकासशील और ग्लोबल साउथ देशों का लीडर होने का दावा करता है। ऐसे में भारत के लिए ये मंच काफी अहम है। भारत भी G77 संगठन का मेंबर है।
1964 में जब इस संगठन को बनाया गया तो भारत ने ही पहली बार इसकी अध्यक्षता की थी। अब 134 देश इस संगठन के सदस्य हैं। इनमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी शामिल हैं।
हालांकि, क्यूबा में हुई बैठक में भारत से कोई बड़ा लीडर शामिल नहीं हो सका। पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि वो इस बैठक में शामिल होने के लिए क्यूबा जाएंगे। फिर संसद के स्पेशल सेशन की वजह से उन्हें प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ा।