राष्ट्रीय

G20 Summit Delhi: मेहमानों ने देखी भारतीय संस्कृति की झलक, कोणार्क चक्र के साथ इस मूर्ति ने भी खींचा ध्यान

G20 Summit Delhi: मेहमानों ने देखी भारतीय संस्कृति की झलक, कोणार्क चक्र के साथ इस मूर्ति ने भी खींचा ध्यान

इस दौरान गलियारे की दीवारों पर लगी कलाकृतियां भारतीय संस्कृति की कहानी कह रही थी। इसमें कोणार्क चक्र के अलावा दीवार पर घेरंड संहिता से लिए गए 32 योग व भगवान शिव का रूप मानी जाने वाली नटराज की अष्टधातु प्रतिमा है। दीवार पर 32 अनिवार्य योग आसन प्रदर्शित थे जो कि घेरंड संहिता के 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के पाठ से लिए गए थे।

दीवार पर घेरंड संहिता के 32 अनिवार्य योग आसन प्रदर्शित थे
कोणार्क चक्र के साथ नटराज की मूर्ति ने भी ध्यान खींचा

जी-20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) के लिए भारत मंडपम में वैश्विक दिग्गजों ने स्वागत के दौरान भारतीय संस्कृति की झलक देखी। एक निश्चित अंतराल पर लाल कालीन बिछी गलियारे से गुजरते हुए मेहमान एक एक कर भारत मंडपम के सम्मेलन कक्ष में प्रवेश कर रहे थे। जिनका स्वागत स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया।

दीवार पर प्रदर्शित थे 32 अनिवार्य योग आसन
इस दौरान गलियारे की दीवारों पर लगी कलाकृतियां भारतीय संस्कृति की कहानी कह रही थी। इसमें कोणार्क चक्र के अलावा दीवार पर घेरंड संहिता से लिए गए 32 योग व भगवान शिव का रूप मानी जाने वाली नटराज की अष्टधातु प्रतिमा है।

कुछ मेहमानों को प्रधानमंत्री ने इसके बारे में भी बताया। दीवार पर 32 अनिवार्य योग आसन प्रदर्शित थे जो कि घेरंड संहिता के 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के पाठ से लिए गए थे।

G20 Summit: दिल्ली में आज भी कई रास्ते बंद, ट्रैफिक पुलिस ने जी-20 सम्मेलन के दूसरे दिन का अलर्ट किया जारी

जी-20 शिखर सम्मेलन: मेहमानों को भा रहे भारतीय व्यंजन, अतिथियों ने चखा पात्रम-सांवा का हलवा और चाट का स्वाद

बताया जाता है कि महर्षि घेरण्ड अपनी योग विद्या का उपदेश तत्त्व ज्ञान की प्राप्ति के लिए करते हैं। इसमें योग को सबसे बड़ा बल बताया है । साधक इस योगबल से ही उस तत्त्वज्ञान की प्राप्ति करता है। घेरंड संहिता में आसनों का वर्णन द्वितीय साधन में किया गया है। इन आसनों में सिद्धासन, पद्मासन, भद्रासन, मुक्तासन, वज्रासन, स्वस्तिकासन, सिंहासन, गोमुखासन, वीरासन,धनुरासन, मृतासन / शवासन, गुप्तासन, मत्स्यासन, मत्स्येन्द्रासन, गोरक्षासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्कटासन, संकटासन, मयूरासन, कुक्कुटासन, कूर्मासन, उत्तानकूर्मासन, मण्डुकासन, उत्तान मण्डुकासन, वृक्षासन, गरुड़ासन, वृषासन, शलभासन, मकरासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, योगासन है। महर्षि घेरण्ड ने सिंहासन को सभी व्याधियों को समाप्त करने वाला आसन माना है।

वहीं, नटराज की मूर्ति की बात करें तो नटराज भगवान शिव का एक नाम है उस रूप में जिसमें वह सबसे उत्तम नर्तक हैं। नटराज शिव का स्वरूप उनके संपूर्ण काल एवं स्थान को ही दर्शाता है। इस स्वरूप में शिव कलाओं के आधार हैं। मान्यता है कि नटराज का ये स्वरूप शिव के आनंद तांडव का प्रतीक है।

शिव नटराज की प्रतिमा को देखें तो भगवान शिव की नृत्य मुद्रा साफतौर पर नजर आएगी, साथ ही वो एक पांव से दानव को दबाए हैं। ऐसे में शिव का ये स्वरूप बुराई को नाश करने और नृत्य के जरिये सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का संदेश देता है।

चोल साम्राज्य में इस विधि से बनाई जाती थी मूर्तियां
पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी भारत मंडपम में लगी नटराज प्रतिमा का जिक्र करते हुए बताया था कि भारत मंडपम में भव्य नटराज प्रतिमा हमारे समृद्ध इतिहास और संस्कृति के पहलुओं को जीवंत करती है। यह मूर्ति अष्टधातु- कापर, जिंक, टिन, सिल्वर, गोल्ड, मरकरी और आयरन से बनाई गई है। इस विधि से चोल साम्राज्य में भी मूर्तियों को बनाया जाता था।

IMG-20250402-WA0032

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!