Maharashtra: 2 हजार का बॉडी बैग 6800 में, ज्यादा कीमतों पर खरीदी गईं दवाइयां, जानें क्या है Covid Jumbo Centre Scam
Maharashtra: 2 हजार का बॉडी बैग 6800 में, ज्यादा कीमतों पर खरीदी गईं दवाइयां, जानें क्या है Covid Jumbo Centre Scam

Maharashtra: 2 हजार का बॉडी बैग 6800 में, ज्यादा कीमतों पर खरीदी गईं दवाइयां, जानें क्या है Covid Jumbo Centre Scam
प्रवर्तन निदेशालय ने कोरोना महामारी के दौरान जंबो केंद्रों से जुड़े 38 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के सिलसिले में पूरे मुंबई में एक दर्जन से अधिक छापे मारे हैं। जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों, सावधि जमा, निवेश और आभूषणों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए हैं। हालांकि, बड़ा सवाल यही है कि आखिर यह कैसा घोटाला है और इसमें क्या हुआ था।
कैसे चर्चा में आया
कोविड-19 महामारी के दौरान मुंबई में ‘जंबो’ अस्पताल की स्थापना में कथित घोटाले के सिलसिले में बुधवार को सेना की युवा शाखा (यूबीटी) के नेता सूरज चव्हाण, मुंबई नगर निकाय के कुछ अधिकारियों और आईएएस अधिकारी संजीव जायसवाल सहित अन्य के आवासों पर छापे मारे गए थे। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उद्योगपति सुजीत पाटकर और अन्य के खिलाफ कथित कोविड केंद्र घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में बुधवार को मुंबई में 15 स्थानों पर छापेमारी की थी। पाटकर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के करीबी माने जाते हैं।
किसने की थी शिकायत
यह मामला भाजपा के किरीट सोमैया की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था। सोमैया ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज, पाटकर और उनके तीन सहयोगियों को महामारी के दौरान कोविड-19 केंद्रों के प्रबंधन के लिए बीएमसी से अनुबंध मिला जिससे बीएमसी को 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सोमैया ने दावा किया कि एलएमएचएस को क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद अनुबंध दिया गया था और इसे पुणे मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था – जिसे उसने बीएमसी से छुपाया था। प्राथमिकी के अनुसार, अस्पताल प्रबंधन कंपनी के साझेदारों ने जून 2020 में बीएमसी को एक कथित फर्जी साझेदारी दस्तावेज सौंपा और चिकित्सा क्षेत्र में बिना किसी अनुभव के एनएसईएल, वर्ली, मुलुंड, दहिसर (मुंबई) और पुणे में जंबो कोविड-19 केंद्रों के ठेके प्राप्त किए। प्राथमिकी में कहा गया है कि सत्यापन के बाद यह पाया गया कि इन कोविड-19 केंद्रों के कर्मचारियों और डॉक्टरों के पास चिकित्सा प्रमाण पत्र नहीं थे और कथित तौर पर वे उचित उपचार प्रदान करने में विफल रहे, जिसके कारण लोगों को परेशानी हुई।
क्या हो रहा जांच
जांच एजेंसियां स्वास्थ्य सेवाओं और कर्मचारियों के लिए ठेके देने में हुई हेरा-फेरी की जांच कर रही हैं। EOW कथित घोटाले को लेकर इसके आपराधिक पहलू की जांच कर रही है जबकि ED इस पूरे मामले में पैसे के लेन-देन का पता लगाने की कोशिश कर रही है। आरोप यह भी है कि कंपनी शवों को सील करने के लिए बैग मार्केट में दो हजार रुपए की दर से बेच रही थी, उसी बैग को बीएमसी ने तीन गुना से अधिक, 6800 रुपये की दर से खरीदा था। वहीं, इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी बाजार में 25-30 फीसदी कम दाम पर उपलब्ध थीं।
जांच में क्या मिला
बताया जा रहा है कि पूरे महाराष्ट्र में 150 करोड़ रुपये की संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज, 15 करोड़ रुपये की सावधि जमा और निवेश और 2.5 करोड़ रुपये के आभूषण बरामद किए गए – साथ ही मोबाइल फोन और लैपटॉप भी बरामद किए गए हैं। सूत्र ने कहा कि अनियमितताएं सामने आने के बावजूद बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के आग्रह पर खरीदारी जारी रही। जांच से यह भी पता चला कि बीएमसी को दिए गए बिलों की तुलना में लाइफलाइन जंबो कोविड सेंटर में लगभग 60 से 65 प्रतिशत कम डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों ने काम किया। कंपनी ने कथित तौर पर धन की हेराफेरी के लिए 200 डॉक्टरों के नामों का गलत इस्तेमाल किया।
शिवसेना यूबीटी ने शिंदे पर पलटवार किया
राउत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के परिवार पर ठाणे और कल्याण-डोंबिवली में कोविड-19 केंद्रों में घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है कि ठाणे और कल्याण-डोंबिवली नगर निगमों में कोविड केंद्रों को कौन नियंत्रित कर रहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें ‘वर्षा’ (सीएम का आधिकारिक आवास) पर बैठे लोग शामिल थे। सीएम शिंदे के परिवार के सदस्य कोविड केंद्रों से संबंधित विभिन्न खरीद पर 40% कमीशन ले रहे थे। आदित्य ठाकरे ने गुरुवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार डरी हुई है और कायरों की तरह लड़ रही है।
फडणवीस ने क्या कहा
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) नेताओं और एक आईएएस अधिकारी की संपत्तियों पर छापेमारी के बारे में एक सवाल पर देवेद्र फडणवीस ने कहा कि किसी भी अधिकारी को निशाना बनाने का प्रयास नहीं किया जाएगा। लेकिन अगर घोटाला हुआ है तो कुछ अधिकारियों को बुलाकर जानकारी ली जाएगी और जांच की जाएगी। एक घोटाला हुआ है।