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किसान परिवार से आने वाले नीरज चोपड़ा का अब तक का सफर रहा है शानदार, टोक्यो में भी नहीं दिखा ऐसा जैवलिन खिलाड़ी

किसान परिवार से आने वाले नीरज चोपड़ा का अब तक का सफर रहा है शानदार, टोक्यो में भी नहीं दिखा ऐसा जैवलिन खिलाड़ी

किसान परिवार से आने वाले नीरज चोपड़ा का अब तक का सफर रहा है शानदार, टोक्यो में भी नहीं दिखा ऐसा जैवलिन खिलाड़ी

भारत के स्टार एथलीट  नीरज चोपड़ा ने तोक्यो ओलंपिक की जैवलिन प्रतियोगिता के क्वालीफाइंग में शीर्ष पर रहते हुए फाइनल में जगह बनाई। अपने इस प्रदर्शन से नीरज चोपड़ा ने देशवासियों में एक गोल्ड की उम्मीद जगा दी। देशवासी उनसे अब गोल्ड की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वह गोल्ड के प्रबल दावेदारों में से सबसे मजबूत दावेदार है। अपने इस प्रदर्शन के बाद नीरज चोपड़ा ने कहा कि मैं अपने पहले ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले रहा हूं और काफी अच्छा महसूस कर रहा हूं। वार्म अप के दौरान मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं था लेकिन पहले थ्रो (क्वालीफाइंग दौर में) में मैंने अच्छा कोण हासिल किया और यह परफेक्ट थ्रो थी। यह (फाइनल) बिलकुल अलग अहसास होगा क्योंकि यह मेरा पहला ओलंपिक है। शारीरिक रूप से हम सभी कड़ी ट्रेनिंग करते हैं और तैयार हैं लेकिन मुझे मानसिक रूप से तैयार होने की भी जरूरत है। 7 अगस्त को नीरज चोपड़ा फाइनल खेलेंगे।

नीरज चोपड़ा का जन्म हरियाणा के पानीपत में 24 दिसंबर 1997 को हुआ था। 23 वर्षीय इस खिलाड़ी से ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले नीरज चोपड़ा खुद को पूरी तरह से जैवलिन को सौंप दिया है। वह जजैवलिन प्रतिस्पर्धा के लिए लगातार तैयारी करते रहे और आज वह विश्व के टॉप खिलाड़ियों में से एक हैं। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने पीएम केयर्स फंड में भी अपना योगदान दिया था। नीरज उस समय सुर्खियों में आ गए थे जब 2016 में पोलैंड में हुए IAAF वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंक कर गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद ही उन्हें जूनियर कमीशन अफसर के तौर पर भारतीय सेना में नियुक्ति मिले थे।

अपने परिवार के बेहद करीब रहने वाले नीरज लगातार आगे बढ़ते रहें। नीरज साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता किसान हैं जबकि माता गृहणी हैं। 2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में उन्होंने 88.06 मीटर का थ्रो करके गोल्ड मेडल जीता था। नीरज ऐसा करने वाले पहले भारतीय हैं। अब तक एशियन गेम्स में जैवलिन थ्रो में भारत में सिर्फ दो पटेल पदक ही हासिल किया हैं। नीरज से पहले 1983 में गुरतेज सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। 2018 के ही कॉमनवेल्थ गेम में नीरज ने गोल्ड मेडल जीता था जिसमें उन्होंने 86.47 दूरी पर भाला फेंका था। इसके बाद वह कंधे की चोट के शिकार हो गए जिससे उन्हें खेल से काफी वक्त तक दूर रहना पड़ा। जब तक नीरज ठीक होते देश में और विश्व में कोरोना महामारी का दौर था। ऐसे में कई सारे खेल इवेंट्स रद्द हो गए। इसी साल नीरज ने इंडियन ग्रैंड प्रिक्स में 88.07 मीटर का तो करके अपना ही नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा था।

23 वर्षीय नीरज अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद किसी वर्ल्ड लेवल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं। नीरज लगातार जैवलिन में अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं। अगर नीरज अपना वर्तमान बेस्ट थ्रो 88.07 मीटर को दोहरा देते हैं तो भारत के लिए गोल्ड पक्का है। नीरज का मुकाबला त्रिनिदाद एवं टोबैगो के केशोरन वाल्कॉट से होगा जिनका बेस्ट थ्रो 85.38 मीटर है।

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