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Parshuram Jayanti 2023: 22 अप्रैल को मनाया जा रहा परशुराम जन्मोत्सव, जानिए उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Parshuram Jayanti 2023: 22 अप्रैल को मनाया जा रहा परशुराम जन्मोत्सव, जानिए उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Parshuram Jayanti 2023: 22 अप्रैल को मनाया जा रहा परशुराम जन्मोत्सव, जानिए उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस साल परशुराम जयंती 22 अप्रैल 2023 को मनाई जा रही है। इस दिन अक्षय तृतीया भी पड़ रही है। सनातन शास्त्रों के अनुसार, वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम पृथ्वी लोक पर अवतरित हुए थे। परशुराम को जगत के पालनहार भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। इसलिए इस तिथि को परशुराम जयंती मनाई जाती है। देशभर में हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है।

इसके अलावा कई स्थानों पर शोभा यात्रा का आयोजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन सच्चे मन से भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं परशुराम जयंती का महत्व, शुभ मुहूर्त, कथा और पूजन विधि के बारे में…

परशुराम जयंती 2023 तिथि

बता दें कि परशुराम जयंती पर कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

22 अप्रैल 2023- शनिवार

तृतीया तिथि की शुरूआत- 22 अप्रैल 2023, 07:49 मिनट पर

तृतीया तिथि की समाप्ति- 23 अप्रैल 2023, 07:47 मिनट पर

आयुष्मान योग – 22 अप्रैल 2023, सुबह 09:24 मिनट तक

कथा

सनातन शास्त्र के मुताबिक बहुत पहले महिष्मती नगर में क्षत्रिय राजा सहस्त्रबाहु शासन करता था। वह बहुत क्रूर और निर्दयी राजा था। उसके अत्यातारों से पूरी प्रजा त्राहिमाम कर रही थी। उस दौरान मां पृथ्वी जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु के पास गईं। मां पृथ्वी के बैकुंठ पहुंचने का कारण श्रीहरि को पहले से मालूम था। भगवान विष्णु ने माता पृथ्वी को अश्वासन दिया कि जल्द ही आने वाले समय में सहस्त्रबाहु के अत्याचार का अंत होगा। भगवान विष्णु ने कहा कि जब-जब धर्म का पतन होता है तो वह धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।

इसलिए सहस्त्रबाहु के अत्याचार का अंत करने के लिए श्रीहरि विष्णु वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को महर्षि जमदग्नि के घर पुत्र रूप में अवतरित हुए। जिसके बाद परशुराम भगवान ने क्षत्रिय नरेश सहस्त्रबाहु का अंत कर दिया। कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने इस पृथ्वी से 21 बार क्षत्रियों का संहार कर पृथ्वी को क्षत्रिय वहीन कर दिया था। भगवान परशुराम के क्रोध को महर्षि ऋचीक ने शांत किया था।

पूजन विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े धारण करें।

फिर गंगाजल से मंदिर को स्वच्छ करें।

चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान परशुराम और भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।

भगवान को फूल-माला, अक्षत व अन्य चीजें अर्पित करें।

इसके बाद भोग लगाकर धूप-दीप कर आरती करें।

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