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Kartavyapath : पोषण युक्त मोटा अनाज मानवता को भारत का उपहार

Kartavyapath : पोषण युक्त मोटा अनाज मानवता को भारत का उपहार

Kartavyapath : पोषण युक्त मोटा अनाज मानवता को भारत का उपहार
मोटा अनाज जिसे बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने श्रीअन्न नाम दिया है। इस मोटे अनाज यानी श्रीअन्न की महत्ता को पहचान कर 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। वहीं भारत मिलेट्स का विश्व भर में प्रचार प्रसार कर पथ प्रदर्शक बन रहा है। इसका उदाहरण भारतीय लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाली संसद में देखने को मिला। लगभग डेढ़ महीने पहले यानी 20 दिसंबर को एक अनोखे सहभोज का आयोजन किया गया था। देश के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री, संसद के दोनों सदनों के नेता, विभिन्न राजनैतिक दलों के अध्यक्ष, सांसदगण और अधिकारी मौजूद थे।

यह कोई भोजन पर मिलन का कार्यक्रम भर नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य जन-जन के पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ाव था। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच रही है कि भारत के प्राचीन पोषक अनाज को भोजन की थाली फिर से सम्मानजनक स्थान मिले। ये आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की पहल पर वर्ष 2023 को दुनिया अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है। इसके जरिए मिलेट्स यानी मोटा अनाज की खासियत दोबारा दुनिया के सामने लाना जरुरी है।

मोटा अनाज यानी मिलेट्स मानवजाति के लिए प्रकृति की अनमोल देन है। भारतीय भोजन में मोटे अनाज का उपयोग करने की परंपरा रही है, लेकिन 1960 के दशक में हरित क्रांति के जरिए खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के कारण मोटे अनाज की तरफ ध्यान कम हुआ, जो समय के साथ साथ लोगों की थाली से ही गायब हो गया। समय के साथ इसकी खपत में आई कमी के कारण उत्पादन भी कम हुआ। हरित क्रांति से पहले मोटा अनाज लगभग 40 प्रतिशत होता था मगर बाद में इसमें गिरावट आई और ये 20 प्रतिशत रह गया। समय के साथ ही लोगों की खान पान की आदतों में भी बदलाव आया और थाली में पोषण से भरपूर अनाज की जगह कैलोरी से भरपूर महीन अनाज ने ले ली।

भारत के लिए मिलेट्स कोई नई चीज नहीं है। आज मिलेट्स को अच्छे स्वास्थ्य के लिए काफी अहम माना जा रहा है। इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि मिलेट्स के लिए हमें काम करना चाहिए। जिस तरह योग को दुनिया भर में पहचान मिली है उसी तरह से मिलेट्स को भी दुनिया भर में भारत की तरफ से मंच प्रदान कर पहुंचाया जा रहा है। मिलेट्स की खपत और इसका उत्पादन दोनों बढ़ रहा है। यहां तक की सरकार ने कई नीतियों को मान्यता दी है।

वहीं कोरोना वायरस महामारी के दौरान स्वास्थ्य व पोषण सुरक्षा के महत्व का अहसास कराया है। तीन-सी यानी कोविड, कॉन्फ्लिक्ट (संघर्ष) और क्लाइमेट (जलवायु) ने, किसी न किसी रूप में खाद्य सुरक्षा को प्रभावित किया है। अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष मनाए जाने से मिलेट्स की घरेलू एवं वैश्विक खपत बढ़ेगी, जिससे रोजगार में भी वृद्धि होगी एवं अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी।

क्या है मिलेट्स यानी मोटा अनाज
मोटे अनाज आमतौर से छोटे दाने वाली फसल होती है, जिसे पोषक अनाज या कम पानी वाले अनाज कहा जाता है। यह कम पानी वाले इलाकों में पैदा होती है।मोटे अनाज में ज्वार , बाजरा, रागी, कुटकी, काकुन, सांवा, कोदो जैसे अनाज शामिल है। मोटे अनाज को नियमित खुराक वाली फसल कहा जाता है, जो शुष्क भूमि में उगती है। मोटे अनाज का उपयोग भोजन, चारे, जैव ईंधन और शराब बनाने में होता है। इसलिए मोटे अनाजों को स्मार्ट फूड कहा जाता है, क्योंकि यह उपभोक्ताओं, किसानों, और धरती के लिए भी बेहतर हैं।

मोटा अनाज शरीर को बनाता है मजबूत
मोटा अनाज जैसे कुटकी, ज्वार, पर्ल, सांवा, कोदो, रागी, चैना या कंगनी ग्लूटन फ्री होते है। सीलिएक बीमारी से पीड़ित मरीजों को चिकित्सक विशेष तौर पर खाने की सलाह देते हैं। मोटा अनाज खाने से शरीर भी मजबूत बनता है। कुटकी के सेवन से हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। मधुमेह पीड़ित लोगों के लिए उपयुक्त खाद्य पदार्थ है। ब्लड शुगर को अनियंत्रित तरीके से बढ़ने से ये रोकता है।

सांवा में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है, लिहाजा इसके सेवन से शरीर में खून की मात्रा में इजाफा होता है। कोदो का सेवन करने से तंत्रिका प्रणाली को मजबूत करने में सहायता मिलती है। अवसाद और निम्न रक्तचाप को नियंत्रित करने में चैना काफी मददगार साबित होता है। शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों को भी रोकता है। कंगनी या टांगुन का उपयोग करने से पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता है जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। खासतौर से महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से बचाव करने में ये सहायक है। रागी के उपयोग से हड्डियों के विकास और शरीर में रक्त की कमी को दूर करने में सहायता मिलती है। पर्ल विटामिन ई से भरपूर होता है। पर्ल खाने से टिश्यू को लगने वाली चोट से बचाव होता है। ज्वार के सेवन से शरीर की कोशिकाएं स्वस्थ रहती है। कोलन कैंसर और हृदय संबंधित बीमारियों के खतरे से बचाने में ये सहायक होता है।

ऐसे हैं आंकड़े
वहीं अगर भारत की बात करें तो भारत सामान्य तौर पर सभी नौ मोटे अनाजों का उत्पादन करता है। दुनिया में मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक भारत ही है। देश पांचवा सबसे बड़ा निर्यातक भी है। भारत के अधिकतर राज्यों में एक या उससे अधिक मोटे अनाज की फसल या उसकी प्रजाति उगाई जाती है।

– आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में भारत ने मोटे अनाज के उत्पादन में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है।

– वर्ष 2020 से पहले पांच वर्षों के दौरान भारत से मोटे अनाज का निर्यात लगभग 3 प्रतिशत CAGR से लगातार बढ़ा है।

– भारत में मोटे अनाज से संबंधित 500 से अधिक स्टार्टअप कार्यरत है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने भी राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार के तहत 250 स्टार्टअप्स को सहयोग दिया है।

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