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NSA Ajit Doval US Visit | अजीत डोभाल की अमेरिकी यात्रा के पीछे क्या है मोदी सरकार की मंशा? भारत-यूएस के रिश्तों में आ सकता है बदलाव

NSA Ajit Doval US Visit | अजीत डोभाल की अमेरिकी यात्रा के पीछे क्या है मोदी सरकार की मंशा? भारत-यूएस के रिश्तों में आ सकता है बदलाव

वाशिंगटन। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब पूरी दुनिया दो गुटों में बट गयी थी तब से अमेरिका और रूस के बीच शीत युद्ध चला। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद ही अमेरिका का वर्चस्व काल आया। जब दुनिया दो गुटों में बटी थी तब भारत किसी भी गुट में शामिल न होकर गुटनिरपेक्ष रहा लेकिन अमेरिका लगातार पाकिस्तान का समर्थन करता रहा जिसके कारण भारत रूस के करीब आया। वर्तमान स्थिति में भारत और अमेरिका के संबंध अच्छे हैं। बड़े स्तर पर अमेरिका और भारत ट्रेड करते हैं। भारत क्वाड का भी हिस्सा हैं। ऐसे में भारत और अमेरिका के संबंधों को और बेहतर बनाने के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल अमेरिका की यात्रा पर हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत के. डोभाल ने अपनी यात्रा के दौरान हुई चर्चाओं के माध्यम से अत्याधुनिक क्षेत्रों में भारत-अमेरिका सहयोग को गति देने का आधार तैयार किया और यह वास्तव में एक व्यापक व वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की परिपक्वता को दर्शाता है। यहां भारतीय दूतावास ने एक बयान में यह जानकारी दी। बयान में भारतीय दूतावास ने कहा, ‘‘इस यात्रा के दौरान हुईं चर्चाएं अत्याधुनिक क्षेत्रों में भारत-अमेरिका सहयोग को गहरा करने का आधार स्थापित करती हैं और वास्तव में भारत-अमेरिका व्यापक, वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की परिपक्वता को दर्शाती हैं। डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन ने यहां व्हाइट हाउस में अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ ‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आईसीईटी) की पहली उच्च-स्तरीय बैठक की।

इसके अलावा डोभाल ने कई शीर्ष अधिकारियों से भी मुलाकात की। डोभाल ने 30 जनवरी से एक फरवरी तक की यात्रा के दौरान, आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सरकार, कांग्रेस, उद्योग, अकादमिक, अनुसंधान समुदायों में अमेरिकी नीति निर्माताओं और हितधारकों के साथ बैठकें कीं। सुलिवन के अलावा डोभाल ने अमेरिका के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिली, अमेरिका की उप रक्षा मंत्री डॉ. कैथलीन हिक्स, शीर्ष सासदों और उद्योग जगत के कई दिग्गजों से मुलाकात की। उनकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी मिलने की योजना है। डोभाल और सुलिवन ने ‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आईसीईटी) की जो पहली उच्च-स्तरीय बैठक की, उसका मई 2022 में तोक्यो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बैठक के बाद पहली बार एक संयुक्त बयान में उल्लेख किया गया था। इसका मकसद दोनों देशों की सरकारों, व्यवसायों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सामरिक प्रौद्योगिकी साझेदारी तथा रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाना व विस्तारित करना है।

दूतावास ने कहा, ‘‘आईसीईटी का मकसद प्रौद्योगिकी श्रृंखलाओं का निर्माण करके और वस्तुओं के सह-विकास तथा सह-उत्पादन का समर्थन करके दोनों देशों के बीच विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदारी स्थापित करना है। इसका मकसद स्थायी तंत्र के माध्यम से विनियामक प्रतिबंधों, निर्यात नियंत्रण और बाधाओं को दूर करना भी है।’’ बैठक के दौरान, अमेरिकी पक्ष ने विधायी परिवर्तनों के प्रयासों सहित कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत के लिए निर्यात बाधाओं को कम करने का आश्वासन दिया।

भारत के प्रतिनिधिमंडल में डोभाल के अलावा अमेरिका में भारत के राजदूत, भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष, दूरसंचार विभाग में सचिव, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक शामिल थे। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के प्रशासक, नेशनल साइंस फाउंडेशन के निदेशक, नेशनल स्पेस काउंसिल के कार्यकारी सचिव और विदेश मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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