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गेहूं का रकबा अबतक 1.40 प्रतिशत बढ़कर 337.18 लाख हेक्टेयर पर

गेहूं का रकबा अबतक 1.40 प्रतिशत बढ़कर 337.18 लाख हेक्टेयर पर

चालू रबी सत्र में अब तक गेहूं बुवाई का रकबा 1.40 प्रतिशत बढ़कर 337.18 लाख हेक्टेयर हो गया। शुक्रवार को जारी कृषि मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। मुख्य रबी (सर्दियों) फसल, गेहूँ की बुवाई अक्टूबर में शुरू हुई थी और कटाई मार्च/अप्रैल से शुरू होगी। किसानों ने साल भर पहले इसी अवधि में 332.52 लाख हेक्टेयर रकबे में गेहूं की बुवाई की थी।

आंकड़ों के अनुसार अधिक बुवाई के रकबे की सूचना- उत्तर प्रदेश (2.92 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (2.52 लाख हेक्टेयर), महाराष्ट्र (1.01 लाख हेक्टेयर), बिहार (0.81 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (0.65 लाख हेक्टेयर), गुजरात (0.54 लाख हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (0.09 लाख हेक्टेयर), जम्मू और कश्मीर (0.07 लाख हेक्टेयर) और असम (0.03 लाख हेक्टेयर) से है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, यदि अनाज के भराव के चरण के दौरान मौसम की स्थिति अच्छी रहती है, तो गेहूं खेती का अधिक रकबा, इस साल 11.2 करोड़ टन का नया रिकॉर्ड उत्पादन कर सकता है। पिछले साल प्रमुख उत्पादक राज्यों में लू के कारण गेहूं का उत्पादन घटकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन रह गया था। उससे पहले फसल वर्ष (जुलाई-जून) 2020-21 में देश में रिकॉर्ड 10 करोड़ 95.9 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।

आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सत्र में 13 जनवरी तक धान का रकबा 6.60 लाख हेक्टेयर बढ़कर 26.22 लाख हेक्टेयर रहा। इससे देश के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश और सूखे के कारण इस साल के खरीफ सत्र में हुए नुकसान की भरपाई होने की संभावना है। दालों के मामले में, इस रबी सत्र में अब तक कुल रकबा मामूली रूप से बढ़कर 161.09 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 159.44 लाख हेक्टेयर था।

चना खेती का रकबा थोड़ा कम यानी 109.56 लाख हेक्टेयर है। पोषक और मोटे अनाज की खेती का रकबा बढ़कर 50.02 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 47.71 लाख हेक्टेयर था। तिलहन के मामले में, इस रबी सत्र में 13 जनवरी तक खेती का रकबा बढ़कर 107.52 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो साल भर पहले की इसी अवधि में 99.65 लाख हेक्टेयर था। इस अवधि में तिलहनों में रेपसीड/सरसों का रकबा बढ़कर 96.85 लाख हेक्टेयर हो गया। सभी रबी फसलों के तहत कुल खेती का रकबा पिछले साल के 658.94 लाख हेक्टेयर से 23.08 लाख हेक्टेयर बढ़कर 682.02 लाख हेक्टेयर हो गया।

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