राष्ट्रीय

धनबाद में 25 हजार पेड़ों की हत्‍या की सजा भुगत रहे लोग, प्रदूषण ऐसा कि सांस लेना दूभर, दिखा बर्बादी का मंजर

धनबाद में 25 हजार पेड़ों की हत्‍या की सजा भुगत रहे लोग, प्रदूषण ऐसा कि सांस लेना दूभर, दिखा बर्बादी का मंजर

धनबाद में प्रदूषण का कारण हरे-भरे पेड़ों की कटाई
धनबाद में पिछले पांच सालों में 25 हजार पेड़ काट लिए गए हैं लाखों लोगों से ऑक्‍सीजन छीन लिया गया है लेकिन बदले में 30 फीसद भी पेड़ नहीं लगाए गए हैं। इसका असर भी अब दिखना शुरू हो गया है।

आशीष सिंह, धनबाद। धनबाद में प्रदूषण का स्तर यूं ही नहीं बढ़ रहा है। गाड़ियों का धुआं, कोयला ट्रांसपोर्टिंग, झरिया की आग के साथ ही एक बड़ा कारण हरे-भरे पेड़ों की कटाई भी है। प्रदूषण को कम करने, कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने और धूल कण को खत्म करने में बहुत बड़ी भूमिका पेड़ निभाते हैं। धनबाद में 25 हजार से अधिक हरे-भरे पेड़ों की कीमत पर सड़कों का जाल तो बिछा दिया, लेकिन पर्यावरण के लिए खतरा भी पैदा कर दिया। इसका असर भी दिखने लगा है। पिछले एक दशक में पहली बार एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) की सघनता राष्ट्रीय मान से पांच गुना अधिक 554 पर पहुंच गया है। मंगलवार को भी इसका स्तर औसत 399.4 एक्यूआइ दर्ज किया गया।

धनबाद में लगने वाला है देश भर के वैज्ञानिकों को जमावड़ा, कृषि संकट और आत्मनिर्भर भारत पर होगा मंथन
यह भी पढ़ें

धनबाद में लोग झेल रहे हैं मौसम की मार
सिर्फ यही नहीं पिछले साल बीते 20 वर्ष में पहली बार सबसे अधिक गर्मी पड़ी थी और तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। पिछले पांच वर्ष में धनबाद में 25 हजार से अधिक पेड काटे गए। इनके बदले 30 फीसद भी पौधे नहीं लगे। एक हजार करोड़ की लागत से सड़कों का जाल जरूर बिछा दिया, लेकिन पेड़ न लगा सके। इसका असर धनबाद के मौसम पर भी हो रहा है। गर्मी बढ़ रही है, प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है, बेमौसम बरसात हो रही है।

पेड़ों की हत्‍या की सजा भुगत रहे धनबादवासी
एक पेड़ प्रत्येक दिन 230 लीटर आक्सीजन छोड़ता है। इससे कम से कम सात व्यक्ति की सांसें चलती हैं। पिछले पांच वर्ष में काटे गए 25 हजार पेड़ के आधार पर देखें, तो लापरवाह अधिकारियों ने प्रत्येक दिन पांच लाख 75 हजार लोगों से प्राण वायु छीन ली। पर्यावरण विशेषज्ञ बबलू सिंह कहते हैं कि पेड़ों की जब हत्‍या हुई है, तब सजा भी मिलनी ही है। हम अपने आनी वाली पीढ़ी की सांसें छीन रहे हैं।

रिप्लांटेशन के बाद सूखे 2874 पेड़
सूबे की पहली 20 किमी लंबी आठ लेन सड़क के लिए गोल बिल्डिग से कांको मठ तक 8500 पेड़ काटे गए। इनमें से भूली के कसियाटांड में 2874 पेड़ रिप्लांटेशन के तहत लगाए गए। समुचित देखभाल न होने और नई मिट्टी में न पनपने की वजह से सभी पेड़ सूख गए। जिस सड़क के लिए इन पेड़ों को काटा गया, इन पर भी सूखने के बाद आरी चल गई। वर्ष 2012 में ग्रीन धनबाद अभियान चला था। उस समय तत्कालीन डीएफओ संजीव कुमार ने धनबाद के कई हिस्सों में पौधे लगवाए थे। गोल बिल्डिग से कांको मठ सड़क के किनारे भी पौधे लगाए गए थे। आठ-नौ वर्षो में पौधे काफी बड़े भी हो गए थे। इन्हें भी आठ लेन के नाम पर काट डाला गया।

फैक्ट फाइल
पांच वर्षों में 100 वर्ष से भी अधिक पुराने 600 पेड़े कटे।
गोविंदपुर-महुदा फोरलेन सड़क के लिए 3142 पेड़ काटे गए। इनमें 90 फीसद पेड़ 70 वर्ष से अधिक पुराने थे।
बैंक मोड़-सिंदरी सड़क सौंदर्यीकरण में 100 पेड़ कटे।
गोविंदपुर-गिरिडीह सड़क चौड़ीकरण में 7097 हरे-भरे पेड़ काटे गए।
एनएच-2 फोरलेन में छह हजार पेड़ों की बलि चढ़ी।
गोल बिल्डिंग से कांकोमठ आठ लेन सड़क पर 8500 पेड़ काटे गए। इसके एवज में कसियाटांड़ में लगे 2874 पेड़ भी सूख गए।
स्टेट हाइवे अथारिटी आफ झारखंड (साज) के अधीन दो एजेंसी काम कर रही है। इन्हें ही इस क्षेत्र में पेड़ों का रिप्लांटेशन करना था। सही देखभाल न होने और खानापूर्ति के कारण अधिकतर पेड़ सूखे।
हाई पावर कमेटी ने काटने की तुलना में अधिक पेड़ लगाने की शर्त पर दी थी अनुमति, जांच भी नहीं हुई।
धनबाद के लिए पर्यावरण संरक्षण है बहुत जरूरी
आरएसपी कालेज के प्राचार्य एवं वनस्पति विज्ञानी डा.जेएन सिंह कहते हैं, धनबाद में बायोडवर्सिटी लगभग खत्म होने की कगार पर है। रेस्टोरेशन की बहुत अधिक जरूरत है। विकास के साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी जरूरी है। ओपन कास्ट माइनिंग, सड़क निर्माण में बहुत से पेड़ खत्म कर दिए गए। अब जरूरत बड़े पैमाने पर पौधारोपण करने की है। इसमें माइनिंग के पानी का भी प्रयोग किया जा सकता है। रिप्लांटेशन जरूरी है। सही तरीके से गड्ढे खोदकर और उखाड़े गए पेड़ को जड़ व वहां की मिट्टी समेत लगाया जाना चाहिए। इसकी देखभाल आवश्यक है। एक हरा-भरा पेड़ काफी आक्सीजन देता है।

IMG-20250402-WA0032

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!