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Eye Care Tips: मायोपिया से धुंधली हो सकती है नजर, जानें इस बीमारी के लक्षण और उपचार

Eye Care Tips: मायोपिया से धुंधली हो सकती है नजर, जानें इस बीमारी के लक्षण और उपचार

निकट दृष्टि दोष को मेडिकल लेंग्वेज में मायोपिया कहते हैं यह एक दृष्टि विकार है। मायोपिया में आई बॉल की साइज बड़ी हो जाती है, आई बॉल बढ़ने से वस्तु प्रतिबिम्ब रेटिना पर ना बनकर थोड़ा आगे बनता है जिससे वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं। एक रिसर्च के मुताबिक भारत की 30 प्रतिशत आबादी मायोपिया से पीड़ित है। समय रहते इलाज ना मिलने से यह ग्लूकोमा और मोतियाबिंद का रूप ले सकता है। मोतियाबिंद का खतरा बच्चों में तेजी से बढ़ता है, 5-15 आयुवर्ग के 17 प्रतिशत बच्चे मायोपिया से ग्रसित हैं।

मायोपिया के कारण
मायोपिया आनुवांशिक हो सकता है, यदि माता-पिता में से किसी को निकट दृष्टि दोष है तो बच्चे को भी यह दोष हो सकता है।
कम्प्यूटर स्क्रीन पर देर तक काम करने से मायोपिया की परेशानी देखी जाती है।
किताबों या कम्प्यूटर से उचित दूरी ना रखने पर भी निकट दृष्टि दोष की समस्या देखी जाती है।
कृत्रिम रोशनी में ज्यादा समय बिताने से भी मायोपिया की समस्या होती है।

मायोपिया के लक्षण
– आंखों से पानी आना।
– बार-बार आंखें झपकाना।
– आंखों में तनाव और थकान।
– आंखों से पानी आना।
– पलकों को सिकोड़कर देखना।
– सिरदर्द।

बच्चों में मायोपिया के लक्षण
– बच्चों का पढाई में फोकस ना कर पाना।
– लगातार आंखे मसलना।
– ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड पर धुंधला दिखाई देना।
– कम रोशनी में स्पष्ट रूप से चीजें ना देख पाना।

मायोपिया का उपचार
मायोपिया का उपचार सर्जिकल और नॉन सर्जिकल दोनों रूप से किया जाता है। नॉन सर्जिकल में नेगेटिव नम्बर के चश्में द्वारा उपचार किया जाता है। कॉन्टेक्ट लेंस भी चश्मों का विकल्प हैं, यह सीधे आंखों पर लगाए जाते हैं लेंस आपको अलग-अलग डिजाइन में मिलेगी जैसे टोरिक, मल्टी-फोकल डिजाइंस और सॉफ्ट आदि। मायोपिया जितना गंभीर होगा चश्में का नम्बर उतना अधिक हो सकता है।

मायोपिया से बचने के लिए सावधानियां
आंखों को धुप से बचाएं।
पढ़ते और कम्प्यूटर पर काम करते समय पर्याप्त रोशनी रखें।
आंखों का नियमित चेकअप कराएं।
कम्प्यूटर पर काम करते समय स्क्रीन से आवश्यक दूरी बनाएं।
लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर ना देखते रहें।
बच्चों को बाहर प्राकृतिक रोशनी में खेलने दें।
डाइट में फलों और हरी सब्जियों को शामिल करें।
बच्चों को ज्यादा मोबाईल या कम्प्यूटर ना चलाने दें।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखें।
नियमित वर्क आउट रखें।

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