राष्ट्रीय

भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं हमारे धार्मिक स्थल और पर्व

भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं हमारे धार्मिक स्थल और पर्व

भारत में त्योहार वैसे तो आदिकाल से ही धूमधाम से मनाये जाते रहे हैं लेकिन हाल के समय में अपने सांस्कृतिक और पारम्परिक मूल्यों की ओर लौटने को आतुर भारत में पर्वों और त्योहारों की भव्यता और दिव्यता बढ़ी है। आज त्योहारों पर जो रौनक देखने को मिलती है उससे अर्थव्यवस्था को तो बढ़ावा मिलता ही है साथ ही भारत के लोकाचार और संस्कृति की धूम दुनिया के कोने-कोने में हो रही है। त्योहारों के साथ ही धार्मिक स्थलों के विकास और पुनरुद्धार ने भी अर्थव्यवस्था को नयी गति प्रदान की है।

आज के बदलते हुए भारत में देश में ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिरों एवं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति के धर्मस्थलों का जीर्णोद्धार एवं विकास किया जा रहा है। जिसके चलते विभिन्न शहरों में धर्मावलम्बियों की यात्रा में जबरदस्त उछाल देखने में आया है और इसके कारण पर्यटन के क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। एक अनुमान के अनुसार, देश के पर्यटन क्षेत्र में धार्मिक यात्राओं की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहती है।

इसे भी पढ़ें: डॉलर पर ही सारा ध्यान क्यों ? कई देशों की मुद्राओं की तुलना में मजबूत हो रहा भारतीय रुपया
देखा जाये तो वर्ष दर वर्ष, भारत में धार्मिक पर्यटन बढ़ने की वजह से होटल उद्योग, यातायात उद्योग, छोटे व्यवसायियों आदि को बहुत फायदा हो रहा है। इसलिए वर्ष 2028 तक भारत के पर्यटन क्षेत्र में लगभग एक करोड़ रोजगार के नए अवसर निर्मित होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। नेशनल सैंपल सर्वे संगठन के अनुसार, भारत में करीब 5 लाख मंदिर और तीर्थस्थल हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था 3 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक की है। साथ ही देश में मस्जिदों की संख्या भी करीब 7 लाख और गिरजाघरों की संख्या 35,000 के आसपास है। यह भी एक तथ्य है कि दुनिया के जितने भी विकसित देश हैं उन्होंने अपने धार्मिक स्थलों को बेहद खूबसूरत बनाकर दूसरे धर्मों में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों को आकर्षित कर अपने यहां पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।

दीपावली पर्व को ही लीजिये, इस अवसर पर देश में रिकार्ड व्यापार हुआ है। जहां पूर्व में, दीपावली त्यौहार के दौरान लगभग एक लाख करोड़ रुपए का व्यापार होने की बात की जाती रही हैं वहीं इस वर्ष त्यौहारी मौसम के दौरान 2.50 लाख करोड़ रुपए का व्यापार होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इसके साथ ही, वस्तु एवं सेवा कर का संग्रहण जो पिछले सात माह से प्रति माह 1.40 लाख करोड़ से अधिक राशि का रहता आया है वह दीपावली पर्व के चलते अक्टूबर 2022 माह में 1.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा। इस प्रकार भारतीय त्यौहार देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में अपना भरपूर योगदान देते नजर आ रहे हैं। सिर्फ भारत ही क्यों पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का डंका बजता दिखाई दे रहा है।

IMG-20250402-WA0032

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!