क्यों बिहार में दी गई राष्ट्रीय पशु बाघ को जान से मारने की इजाजत? जानें पूरा मामला
क्यों बिहार में दी गई राष्ट्रीय पशु बाघ को जान से मारने की इजाजत? जानें पूरा मामला

बिहार के बगहा में एक आदमखोर बाघ आठ इंसानों को अब तक अपना शिकार बना चुका है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से आए इस बाघ के बढ़ते आतंक को देखते हुए अब इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण भी एक्टिव हो गया है। इस संबंध में प्राधिकरण ने आदमखोर बाघ को जान से मारने के आदेश दिए है।
गौरतलब है कि ये बाघ बीते छह महीनों में आठ लोगों को अपना शिकार बना चुका है। शुक्रवार को भी उसने गोबर्धना थाना क्षेत्र के 35 वर्षीय संजय महतो को अपना शिकार बनाया, जिसके बाद प्राधिकरण ने ये बड़ा फैसला किया है। बाघ द्वारा हमलों में व्यक्तियों में से सात लोगों की मौत हो गई है जबकि एक व्यक्ति जीवनभर के लिए लाचार हो गया है। बाघ बीते दो दिनों में दो लोगों पर हमला कर चुका है। बाघ के आतंक का आलम ये है कि लोग अपने घर से बाहर निकलने में असुरक्षित महसूस कर रहे है। स्थानीय लोग भयभीत हैं और उन्हें अपनी जान का डर सता रहा है।
बाघ को पकड़ने आए ही टीम
इस आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए हैदराबाद से भी खास टीम आई है। एक्सपर्ट के साथ डॉक्टर भी बाघ को पकड़ने में जुटे हुए है। वीटीआर के वन संरक्षक डॉ. नेशामनी ने मीडिया को बताया कि बाघ को जीवित पकड़ने के सभी प्रयास अब तक क्षीण साबित हुए है। उन्होंने कहा कि बाघ को पकड़ने के रास्ते में गन्ने के खेत है और लगातार हो रही बारिश भी इसमें बाधा बन रही है। जानकारी के मुताबिक बाघ को पकड़ने के लिए 60 फॉरेस्ट गार्ड, पांच वैन, चार बड़े जाल, दो ट्रैंकुलाइजर गन, दो ट्रैक्टर, 40 सीसीटीवी कैमरे और एक ड्रोन तैनात किया गया है। बता दें कि बगहा में ये बाघ बीते नौ महीनों से घूम रहा है। इस बाघ को पकड़ने के लिए 400 लोगों की टीम भी बनाई गई है जिसमें 275 स्थानीय लोग भी शामिल है। मगर अब तक टीम बाघ को पकड़ने में सफलता हासिल नहीं कर सकी है।
अबतक का पहला ऐसा मामला
जानकारी के मुताबिक अब तक इस इलाके में इतना खतरनाक बाघ कभी नहीं आया है जिसे जान से मारने के आदेश देने पड़े हों। आमतौर पर इन बाघों या जंगली जानवरों को ट्रेंकुलाइज कर पकड़ा जाता है। मगर बगघा में मिले इस बाघ जैसी घटना पहले देखने को नहीं मिली है। यहां तक कि इस बाघ को पकड़ने के लिए पूरी बड़ी टीम बनाई गई है।
रिजर्व में हैं 50 बाघ
जानकारी के मुताबिक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व 1978 में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के नाम से जानी जाती थी। इसे 1994 में टाइगर रिजर्व बनाया गया। इस रिजर्व में लगभग 50 बाघ है।