क्यों इस मंदिर में 500 सालों से नहीं जलाई गई माचिस? फिर भी हर दिन होती है पूजा और हवन, अद्भुद है रहस्य
क्यों इस मंदिर में 500 सालों से नहीं जलाई गई माचिस? फिर भी हर दिन होती है पूजा और हवन, अद्भुद है रहस्य

भारत में अनेकों ऐसे मंदिर हैं, जहां आपको चमत्कार की हजारों कहानियां सुनने को मिल जाएंगी. लेकिन आज हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, वो चमत्कार की कथा नहीं कहता बल्कि सालों से चमत्कार करता आ रहा है. वहीं भक्त इस चमत्कार को नमस्कार करते आ रहे हैं. वृंदावन के इस मंदिर में 500 सालों से भगवान का भोग बन रहा है, हवन हो रहा है, पर यहां आज तक माचिस नहीं जलाई गई. जानें इस मंदिर के बारे में.
भारत एक अद्भुद देश है, जहां अनेक धर्म, मान्यताएं, भाषाएं और संस्कृति है. प्राकृतिक रूप से संपन्न हमारे देश में आपको ऐसे कई किस्से और कहानियां सुनने को मिल जाएंगी, जिनपर विश्वास ही नहीं होता. आज हम आपको भारत के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पिछले 500 सालों में कभी माचिस नहीं जलाई गई. ये बात इसलिए हैरान करती है, क्योंकि इस मंदिर में हर रोज भगवान की पूजा भी होती है, उनके आगे दीपक भी जोड़ा जाता है, धूपबत्ती भी जलाई जाती है. इस मंदिर में समय-समय पर हवन भी होता है और रसोईघर में भगवान के लिए हर दिन भोग भी बनाया जाता है. लेकिन इनमें से किसी भी चीज के लिए आज तक मंदिर में माचिस नहीं जलाई गई है. सुनकर हैरान रह गए न आप भी. आइए आपको बातते हैं, आखिर कौनसा मंदिर है ये और यहां से प्रथा इतने सालों से आखिर क्यों चली आ रही है.
500 सालों से हो रही है श्री राधारमण की सेवा
हम बात कर रहे हैं, मथुरा के पास वृंदावन के श्री राधा रमण मंदिर की, जहां हर दिन हजारों की संख्या में भक्त भगवान श्रीकृष्ण के राधारमण स्वरूप के दर्शन करने आते हैं. ये मंदिर लगभग 500 साल पुराना है और इस मंदिर में पूजा अर्चना करने वाले पुंडरिक गोस्वामी महाराज इस मंदिर के इतिहास पर बात करते हुए एक पोडकास्ट में बताते हैं कि राधारमण लाल जू लगभग 500 साल पहले शालिग्राम शिला से यहां प्रकट हुए थे. तभी से इस मंदिर में राधारमण स्वरूप में कृष्ण जी की पूजा की जाती है.
Shri Radha Raman Temple Vrindavan
श्री किशोरी जी के साथ विराजे राधारमण लाल.
क्यों नहीं जलाई गई आजतक माचिस
पुंडरिक गोस्वामी महाराज ने बताया कि चैतन्य महाप्रभु के अनन्य शिष्य और कृष्ण भगवान के अनन्य भक्त गोपाल भट्ट गोस्वामी की भक्ति से लगभग 482 साल पहले जब राधारमण लालजू प्रकट हुए तो उनकी पूजा के लिए अग्नि की जरूरत थी. सुबह-सुबह का समय था, तो गोपाल भट्ट जी ने ऋग्वेद में अग्नि ऋचाएं होती हैं, उन्हीं का पाठ कर हवन की लकड़ियों को घिस कर अग्नि प्रज्जवलित की थी. उसी प्रज्जवलित हुई अग्नि को इस मंदिर में आजतक रखा गया है. इस अग्नि को ईंधन की मदद से जाए रखा जाता है और आजतक इसी अग्नि से मंदिर की रसोई में भोजन बन रहा है.
श्री राधा रमण मंदिर में ठाकुर जी का अभिषेक करते हुए मंदिर के पुजारी. (Photo- Shri Radha Raman Temple Vrindavan/Facebook page)
राधा रानी की होती है गादी सेवा
यानी 500 सालों से प्रज्जवलित इस अग्नि को आजतक बुझने नहीं दिया गया है. स्वामी गोपालभट्ट द्वारा शुरू की गई इस प्रथा को आज भी उनके अनुयायी इस मंदिर में चला रहे हैं. मंदिर में बनने वाले भोग से लेकर पूजा में प्रयोग की जाने वाली दीपक तक, सब इसी अग्नि से प्रज्जवलित किए जाते हैं. गोपालभट्ट स्वामी जी चैतन्य महाप्रभू के शिष्य थे और वृंदावन का ये श्री राधारमण मंदिर चैतन्य महाप्रभू के संप्रदाय को ही आगे बढ़ाता है. ऐसी मान्यमता है कि राधारमण में जैसी श्रीकृष्ण जी की विग्रह (मूर्ती) है, हजारों साल पहले जन्में श्री कृष्ण असल में ऐसे ही नजर आते थे. इस मंदिर में श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी की गादी सेवा की जाती है. यानी उनकी विग्रह वहां नहीं है, लेकिन श्रीकृष्ण के पास उनका स्थान बनाकर उस स्थान की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि राधा रानी अब भी लीला कर रही हैं और जब उनकी लीला पूरी हो जाएगी, वह राधारमण लालजू के पास विराजमान हो जाएंगी.
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