जहर नहीं, दुर्लभ जड़ी बूटियों में अमृत है ‘वत्सनाभ’, असाध्य दर्द को ठीक करने में रामबाण, प्रोसेस्ड हर्ब्स के कई फायदे
जहर नहीं, दुर्लभ जड़ी बूटियों में अमृत है 'वत्सनाभ', असाध्य दर्द को ठीक करने में रामबाण, प्रोसेस्ड हर्ब्स के कई फायदे

जहर नहीं, दुर्लभ जड़ी बूटियों में अमृत है ‘वत्सनाभ’, असाध्य दर्द को ठीक करने में रामबाण, प्रोसेस्ड हर्ब्स के कई फायदे
Vatsanabha Health Benefits: हिमालय पर एक से बढ़कर एक जड़ी-बूटियों का खजाना है. इन्हीं में से एक है वत्सनाभ. वत्सनाभ एक तरह से शरीर में होने वाले दर्द के लिए काल है. चाहे गठिया का दर्द हो या हड्डियों का दर्द सबके इलाज में वत्सनाभ का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही वत्सनाभ से बुखार का भी इलाज किया जाता है.
: कहा जाता है कि जहर से जहर का काटा जाता है या लोहे से लोहे को काटा जाता है. आयुर्वेद में ऐसे कई उदाहरण हैं. वत्सनाभ का पौधे से इसी तरह की दवाई बनाई जाती है. यह औषधीय पौधा हिमालय पर होता है. दार्जिलिंग और पश्चिम बंगाल के कई इलाके में कहीं भी यह पौधा उग आता है. वत्सनाभ का साइंटिफिक नाम Aconitum Ferox है. यह जहर के असर को कम करता है. लेकिन इस पौधे में खुद ही जहर वाला गुण है. इसलिए वत्सनाभ को प्रोसेस्ड कर पहले इसके जहर के असर के बेअसर किया जाता है उसके बाद इसका इस्तेमाल असाध्य से असाध्य दर्द को ठीक करने में किया जाता है. वत्सनाभ से शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द, एंग्जाइटी यानी बेचैनी और सांस संबंधी बीमारियों का इलाज किया जाता है. इसके अलावा वत्सनाभ बुखार को कम करता है और अर्थराइटिस, गठिया, दमा और डायबिटीज बीमारियों में भी इस्तेमाल होता है.
कठिन मेहनत से तैयार होती है वत्सनाभ की दवा
वत्सनाभ को लेकर कई स्टडी भी हुई हैं. एनसीबीआई के जर्नल पबमेड सेंट्रल में वत्सनाभ के औषधीय गुणों पर हुई स्टडी का विश्लेषण किया गया है. स्टडी में वत्सनाभ के एंटी-पायरेटिक, एनालजेसिक, एंटी-रुमेटिक, एपीटाइजर और डाइजेस्टिव गुणों पर अध्ययन किया गया. इसमें कहा गया है कि आयुर्वेद के अनुसार वत्सनाभ में तीन दोष यानी वात्त, पित्त और कफ दोष को ठीक करने का गुण है. लेकिन पहले इसे अच्छी तरह दवाई के योग्य बनाना होता है. पब मेड सेंट्रल में कहा गया है कि वत्सनाभ को पहले शुद्ध किया जाता है. इसके लिए वत्सनाभ की जड़ को स्वस्थ्य गौमूत्र में 3 से 7 दिनों तक डूबाकर रखा जाता है. इसके बाद वत्सनाभ की जड़ को अलग कर एक दिन तक धूप में सुखाय जाता है. फिर इसे गाय के दूध में वत्सनाभ की जड़ को 3 घंटे तक उबाला जाता है. इसके बाद वत्सनाभ की जड़ को सूखाकर इसका पाउडर तैयार किया जाता है.
स्टडी में भी साबित हुआ
स्टडी के मुताबिक वत्सनाभ का अगर बिना प्रोसेस किए इस्तेमाल किया जाए तो इससे काफी नुकसान होता है लेकिन यदि इसे प्रोसेस्ड कर तैयार किया जाता है तो इसमें टॉक्सिन खत्म हो जाता है और तब आयुर्वेद में जो दावा किया गया है वह सच हो सकता है. अध्ययन में पहले बिना प्रोसेस वाले वत्सनाभ को जब चूहों में दिया गया तो मृत्यु दर 100 फीसदी रही लेकिन जब प्रोसेस वाला वत्सनाभ दिया गया तो मृत्यु दर जीरो रही. अगर डोज भी बढ़ाया तो भी प्रोसेस वत्सनाभ का नुकसान नहीं देखा गया. इस प्रकार आयुर्वेद के दावे सच निकले. इसलिए वत्सनाभ से गठिया या हड्डियों के असाध्य दर्द को ठीक किया जा सकता है. इससे पाइल्स, डायरिया, अस्थमा आदि बीमारियों को ठीक किया जाता है. इसका बुखार और डायबिटीज में भी इस्तेमाल हो सकता है. हालांकि इन सबके बावजूद वत्सनाभ का इस्तेमाल स्वयं न करें. केवल प्रशिक्षित आयुर्वेद के डॉक्टर से ही वत्सनाभ लेने के बारे में सोचें. खुद से वत्सनाभ को लेने से वह शुद्ध नहीं रहता. लैब में इसे शुद्ध किया जाता है. शुद्ध किए हुए वत्सनाभ ही फायदा पहुंचाता है. इसलिए बिना डॉक्टरों से सलाह किए इसे न लें.