कमाल का है यह जंगली पौधा, जड़ से लेकर फल तक में औषधीय गुणों की भरमार, कई बीमारियों का इलाज
कमाल का है यह जंगली पौधा, जड़ से लेकर फल तक में औषधीय गुणों की भरमार, कई बीमारियों का इलाज

कमाल का है यह जंगली पौधा, जड़ से लेकर फल तक में औषधीय गुणों की भरमार, कई बीमारियों का इलाज
कमाल का है यह जंगली पौधा, जड़ से लेकर फल तक में औषधीय गुणों की भरमार, कई बीमारियों का इलाज
किलमोड़ा का पौधा एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर है. इस पौधे को वनस्पति विज्ञान में बेस्वेरीज बरबेरिस के नाम से और आम भाषा में किलमोड़ा (दारुहल्दी) के नाम से जाना जाता है.
.हमारी अस्त-व्यस्त दिनचर्या के कारण हमें कई सारी बीमारियों का सामना करना पड़ता है. वहीं अधिक तला खाने से भी सेहत को हानि पहुंचती है.इसकी भरपाई के लिए हम एक्सरसाइज, जिम या योग का सहारा लेते हैं.वहीं इन सबके साथ ही हेल्दी डाइट और पौष्टिक आहार भी बहुत जरूरी है. वहीं देवभूमि उत्तराखंड के जंगलों में एक पौधा भारी मात्रा में पाया जाता है, जिसकी जड़ से लेकर फल तक का एक-एक भाग औषधीय गुणों से भरपूर है. इसे विभिन्न प्रकार से खाने से इसके नित सेवन करने से शरीर के विभिन्न अंगों को फायदा होता है. यह पौधा है किलमोड़ा.
उत्तराखंड के जंगलों में मौजूद औषधीय गुणों से भरपूर पौधा
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर के वनस्पति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर दिनेश रावत ने Local 18 के साथ बातचीत में कहा कि किलमोड़ा का पौधा एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर है. इस पौधे को वनस्पति विज्ञान में बेस्वेरीज बरबेरिस के नाम से और आम भाषा में किलमोड़ा (दारुहल्दी) के नाम से जाना जाता है. भारत में इसकी 50 से ज्यादा प्रजातियां हैं. वहीं उत्तराखंड में इसकी 28 से 30 प्रजातियां पाई जाती हैं.