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India vs Bharat: ‘देश के नाम पर की जा रही राजनीति’, मायावती बोलीं- मामले पर संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट

India vs Bharat: ‘देश के नाम पर की जा रही राजनीति', मायावती बोलीं- मामले पर संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट

इंडिया-भारत विवाद पर राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से इस मुद्दे पर की जा रही “ओछी राजनीति” पर स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया। लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, उन्होंने शीर्ष अदालत से देश का नाम रखने वाले सभी राजनीतिक निकायों पर प्रतिबंध लगाने का भी आग्रह किया। मायावती ने कहा कि सच तो यह है कि विपक्ष ने एक सोची-समझी साजिश के तहत अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखकर बीजेपी-एनडीए को संविधान में बदलाव करने का मौका दिया है। यह सत्ता पक्ष की सोची-समझी साजिश है और विपक्ष…चुनाव से पहले उन्होंने जो राजनीति की है, जनता उसे समझती है।

मायावती ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने बेरोजगारी, गरीबी और महंगाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को दरकिनार कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी-एनडीए गठबंधन को गठबंधन के ‘इंडिया’ नाम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए था। उन्हें देश के नाम के समान गठबंधन का नाम रखने पर रोक लगाने वाला कानून बनाना चाहिए था। हम सुप्रीम से अनुरोध करते हैं कोर्ट ऐसे दलों और गठबंधनों पर संज्ञान ले और उन पर रोक लगाए जिनके नाम देश के नाम पर हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या संविधान को बदलना या तोड़-मरोड़ कर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करना उचित है? हमारी पार्टी इसे उचित और न्यायोचित नहीं मानती यानि कि यह पूरी तरह से गलत है।

कराया था प्रस्ताव, घोषणापत्र में भी किया था इंडिया नाम बदलने का वादा

मामला कितना तीव्र हुआ?
‘भारत के राष्ट्रपति’ वाक्यांश वाले G20 निमंत्रण को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए जाने के बाद मामला और तेज हो गया, विपक्ष ने दावा किया कि इस कदम ने I.N.D.I.A ब्लॉक के प्रति भाजपा के डर को उजागर किया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि चूंकि भारत संविधान का हिस्सा है, इसलिए इसका इस्तेमाल करने में कुछ भी गलत नहीं है। मंगलवार को बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इंडोनेशिया यात्रा से जुड़ा एक दस्तावेज भी शेयर किया जिसमें उन्हें ‘भारत का प्रधानमंत्री’ बताया गया है. इस कदम से उन अटकलों को भी बल मिला है कि देश का नाम बदलने का मुद्दा 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के दौरान उठ सकता है।

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