Parliament की नई इमारत की शान बढ़ा रहा अखंड भारत का नक्शा, मोर और कमल, जानें अंदर और क्या है शानदार
Parliament की नई इमारत की शान बढ़ा रहा अखंड भारत का नक्शा, मोर और कमल, जानें अंदर और क्या है शानदार

Parliament की नई इमारत की शान बढ़ा रहा अखंड भारत का नक्शा, मोर और कमल, जानें अंदर और क्या है शानदार
देश को 28 मई को नया संसद भवन मिल गया है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय व्यक्ति गौरवान्वित है। इस दौरान पूजा अर्चना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के नए भवन को 140 करोड़ भारतीय नागरिकों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब करार देते हुए रविवार को कहा कि यह इमारत समय की मांग थी और इसके कण-कण से ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ के दर्शन होते हैं। उन्होंने संसद के नए भवन का उद्घाटन करने के बाद यह भी कहा कि लोकसभा अध्यक्ष की पीठ के निकट स्थापित ‘राजदंड’ (सेंगोल) सभी को प्रेरणा देता रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नया संसद भवन देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। ये भवन विरासत, वास्तु, कला, कौशल युक्त है। इसमें संस्कृति से लेकर संविधान का स्वर है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि संसद भवन में देश की अलग अलग खासियतों और विविधताओं को शुमार किया गया है।
देश की नई संसद में अखंड भारत का नक्शा, अंबेडकर-सरदार पटेल और चाणक्य की प्रतिमा भी इसका हिस्सा बनाया गया है। इन्हें देखकर देशवासियों को अपनी संस्कृति पर गर्व होगा। इस संसद भवन में लोकसभा में राष्ट्रीय पक्षी मोर, राज्यसभा में राष्ट्रीय फूल, और राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी शामिल किया गया है।
जानकारी के मुताबिक नए संसद भवन की इमारत में संविधान हॉल भवन के बीच में बना हुआ है। इसके ऊपर ही अशोक स्तंभ लगाया गया है। संविधान हॉल में संविधान की प्रति रखी जाएगी। इसके अलावा यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस समेत देश के प्रधानमंत्रियों की तस्वीरें लगाई जाएगी।
खास कालीन हुए तैयार
उत्तर प्रदेश के करीब 900 कारीगरों द्वारा ‘‘10 लाख घंटे तक’’ बुनाई करके बनाए गए कालीन नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के फर्श की शोभा बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया। लोकसभा और राज्यसभा के कालीनों में क्रमशः राष्ट्रीय पक्षी मोर और राष्ट्रीय पुष्प कमल के उत्कृष्ट रूपों को दर्शाया गया है। ये कालीन तैयार करने वाली 100 साल से अधिक पुरानी भारतीय कंपनी ‘ओबीटी कार्पेट’ ने कहा कि बुनकरों ने लोकसभा तथा राज्यसभा के लिए 150 से अधिक कालीन तैयार किए और ‘‘फिर उनकी 35,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैले दोनों सदनों की वास्तुकला के अनुरूप अर्ध-वृत्त के आकार में सिलाई की गई।’’
‘ओबीटी कार्पेट’ के अध्यक्ष रुद्र चटर्जी ने कहा, ‘‘ बुनकरों को 17,500 वर्ग फुट में फैले सदन कक्षों के लिए कालीन तैयार करने थे। डिजाइन टीम के लिए यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि उन्हें कालीन को अलग-अलग टुकड़ों में सावधानी से तैयार करना था और उन्हें यह सुनिश्चित करते हुए एक साथ जोड़ना था कि बुनकरों की रचनात्मक महारत कालीन को जोड़ने के बाद भी कायम रहे और यह कालीन अधिक लोगों की आवाजाही के बावजूद खराब न हो।’’
राज्यसभा में उपयोग किए गए रंग मुख्य रूप से कोकम लाल रंग से प्रेरित हैं और लोकसभा में हरे रंग का इस्तेमाल किया गया है जो भारतीय मोर के पंखों से प्रेरित है। कारीगरी के समक्ष पेश पेचीदगियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कालीन बनाने के लिए प्रति वर्ग इंच पर 120 गांठों को बुना गया, यानी कुल 60 करोड़ से अधिक गांठें बुनी गईं। उत्तर प्रदेश के भदोही और मिर्जापुर जिलों के रहने वाले बुनकरों ने नए संसद भवन के ऊपरी और निचले सदनों के कालीन तैयार करने के लिए ‘‘10 लाख’’ घंटे तक मेहनत की। चटर्जी ने कहा, ‘‘ हमने वैश्विक महामारी के बीच 2020 में यह काम शुरू किया था। सितंबर 2021 तक शुरू हुई बुनाई की प्रक्रिया मई 2022 तक समाप्त हो गई थी, और नवंबर 2022 में इसे बिछाए जाने का काम शुरू हुआ। इस काम को पूरा करने में सात महीने का समय लगा।