हलाल के वैक्सीन सर्टिफिकेट को लेकर सोशल मीडिया पर मचा बवाल, हलाल नहीं वैक्सीन जरूरी हैशटैग हो रहा ट्रेंड
हलाल के वैक्सीन सर्टिफिकेट को लेकर सोशल मीडिया पर मचा बवाल, हलाल नहीं वैक्सीन जरूरी हैशटैग हो रहा ट्रेंड

नयी दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया के तमाम मुल्कों में हाहाकार मचाया हुआ है। चीन के वुहार शहर से निकलते इस वायरस के खिलाफ ‘वैक्सीन’ एक मात्र हथियार है। केंद्र सरकार समेत प्रदेश की तमाम सरकारें सभी से अपनी बारी आने पर वैक्सीन लेने की अपील कर रही हैं। इसी बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर हलाल_नही_वैक्सीन_जरूरी नामक हैशटैग चल रहा है।
हैशटैग हलाल_नही_वैक्सीन_जरूरी के साथ फोटो भी काफी शेयर हो रहा है। जिसमें ऊपर की तरफ लिखा है कि हलाल सर्टिफिकेट भारत को इस्लामीकरण की ओर ले जाने वाला आर्थिक जिहाद ! इसके अलावा भी तरह-तरह के पोस्टर सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं।
All this is forcing non-muslims to live compulsorily under the imposition of Halal system in those fields.There is a declared agreement in Islamic countries to deal with services & businesses which are only Halal certified. #हलाल_नही_वैक्सीन_जरूरी pic.twitter.com/bKlQRIzlQD
— Suman Chaurasiya?F? (@IND_suman) August 2, 2021
क्या है हलाल सर्टिफिकेट ?
आपको बता दें कि हलाल एक अरबी शब्द है जिसका उपयोग क़ुरान में भोजन के रूप में स्वीकार करने योग्य वस्तुओं के लिए किया गया है। इस्लाम में आहार संबंधी कुछ नियम बताए गए हैं जिन्हें हलाल कहा जाता है। लेकिन इसका संबंध मुख्य रूप से मांसाहार से है। जिस पशु को भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है उसके वध की प्रक्रिया विशेष रूप से बताई गई है। इसी के चलते मुस्लिम देशों में सरकारें ही हलाल का सर्टिफिकेट देती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो मीट वहाँ परोसा जा रहा है वो उनकी मजहबी मान्यताओं के अनुरूप है।
हमारे देश में भी भारतीय रेल और विमानन सेवाओँ जैसे प्रतिष्ठानों से लेकर फाइव स्टार होटल तक हलाल सर्टिफिकेट हासिल करते हैं जो यह सुनिश्चित करता है कि जो मांस परोसा जा रहा है वो हलाल है। मैकडोनाल्ड डोमिनोज़, जोमाटो जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां तक इसी सर्टिफिकेट के साथ काम करती हैं। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे देश में यह सर्टिफिकेट सरकार द्वारा नहीं दिया जाता।
हलाल का सर्टिफिकेट भारत सरकार नहीं देती है। भारत में यह सर्टिफिकेट कुछ प्राइवेट संस्थान जैसे हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जमायत उलमा ए हिन्द हलाल ट्रस्ट आदि।
इतना ही नहीं कोरोना वैक्सीन को लेकर भी कई मुस्लिम देशों के बीच चर्चा छिड़ गई थी। दरअसल इस्लाम धर्म में सुअर और शराब से निर्मित चीजों को हराम माना जाता है। ऐसे में वैक्सीन को लेकर कई तरह की अफवाहें सामने आने के बाद इंडोनेशिया और मलेशिया से बहस तेज हो गई और कहा गया कि कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां या फिर सरकारें इसकी पुष्टी नहीं करती हैं तब तक वैक्सीन लगवाना गुनाह है।
इसी बीच डब्ल्यूएचओ का बयान सामने आया था। जिसमें कहा गया था कि वैक्सीन पूरी तरह से हलाल है। इसके निर्माण में किसी भी जाति और धर्म के लोगों को ठेस पहुंचाने का प्रयास नहीं किया गया। इतना ही नहीं वैक्सीन में जानवरों की हड्डी और चमड़ी का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ऐसे में अफवाहों की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है।
WHO = World Halal Organization.#हलाल_नही_वैक्सीन_जरूरी pic.twitter.com/4l81JNNsxO
— Hariom Pandey (@hariompandeyMP) August 2, 2021