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दक्षिण के राज्यों में ‘दही’ पर बवाल क्यों हो गया? कुमारस्वामी बोले- गुजरात की कॉलोनी नहीं है कर्नाटक

दक्षिण के राज्यों में 'दही' पर बवाल क्यों हो गया? कुमारस्वामी बोले- गुजरात की कॉलोनी नहीं है कर्नाटक

पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और भाजपा सरकार को कर्नाटक दुग्ध महासंघ (केएमएफ) को दही के पैकेट पर हिंदी शब्द ‘दही’ प्रमुखता से लेबल करने और संबंधित कन्नड़ शब्द ‘मोसरू’ को कोष्ठक में इस्तेमाल करने के निर्देश के लिए फटकार लगाई है। जनता दल (एस) के नेता ने कहा कि ये स्वीकार्य नहीं है। केएमएफ के उत्पाद नंदिनी प्रोबायोटिक कर्ड पर ‘दही’ शब्द की छपाई गलत है। उन्होंने कहा कि यह देश के लोगों के विरोध को जानने के बावजूद कर्नाटक में हिंदी भाषा थोपने के लिए किया गया है।

कुमारस्वामी ने कहा कि हिंदी थोपना पिछले दरवाजे से नहीं हुआ है। थोपना सीधे आया है। डबल इंजन सरकार और उसकी सहायक केएमएफ ने चुपचाप इसे स्वीकार कर लिया है। यह एक कन्नड़ विरोधी अधिनियम है। वहीं तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा कि एफएसएसएआई का ये कदम क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा देने की केंद्र की नीति के मुताबिक नहीं है। स्टालिन ने कहा था कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों को देश के दक्षिणी हिस्से से निकाल देना चाहिए।

राजनीतिक विवाद छिड़ने के बाद फूड सेफ्टी रेगुलेटर एफएसएसएआई ने अपने आदेश में संशोधन किया और दही के पैकेट के प्रिंटेड लेबल में क्षेत्रीय नामों के इस्तेमाल की इजाजत दे दी। कहा गया कि फूड बिजनेस ऑपरेटर अब लेबल पर ब्रैकेट में क्षेत्रीय नाम के साथ ‘दही’ शब्द का इस्तेमाल कर सकेंगे। उदाहरण के लिए, ‘Curd (दही)’ या ‘दही (मोसरू), दही (तायिर)’, ‘दही (पेरुगु)’ का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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