Hindu Growth Rate क्या है? रघुराम राजन ने क्यों कहा- भारत खतरनाक रूप से इसके करीब
Hindu Growth Rate क्या है? रघुराम राजन ने क्यों कहा- भारत खतरनाक रूप से इसके करीब

हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ का हिन्दू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 1950 से लेकर 1980 के दशक तक चार प्रतिशत के निम्न स्तर पर रही थी जिसे ‘हिन्दू वृद्धि दर’ भी कहा जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सावधानी बरतते हुए कहा कि भारत ‘विकास की हिंदू दर’ के “खतरनाक रूप से करीब” है। वह भारत की धीमी आर्थिक वृद्धि का जिक्र कर रहे थे और निजी क्षेत्र के निवेश, उच्च ब्याज दरों और वैश्विक विकास में मंदी को कारकों के रूप में जिम्मेदार ठहराया। लेकिन ‘विकास की हिंदू दर’ का वास्तव में क्या मतलब है और यह शब्द पहली बार कब इस्तेमाल किया गया था? रघुराम राजन की यह टिप्पणी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा पिछले महीने अपनी रिपोर्ट जारी करने के बाद आई है।
क्या है हिंदू ग्रोथ रेट
हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ का हिन्दू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 1950 से लेकर 1980 के दशक तक चार प्रतिशत के निम्न स्तर पर रही थी जिसे ‘हिन्दू वृद्धि दर’ भी कहा जाता है। धीमी वृद्धि के लिए ‘हिन्दू वृद्धि दर’ शब्दावली का इस्तेमाल 1978 में भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने किया था। सार्वजनिक क्षेत्रों की बड़ी संख्या में कंपनियों के निर्माण, बैकों के राष्ट्रीकरण, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति के बावजूद भारत की विकास दर 3.50 फीसदी के करीब ही रहती थी। इसलिए इसे हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ कहा जाता था।
रघुराम राजन ने क्यों जताई चिंता?
रघुराम राजन के हवाले से कहा गया है कि रिपोर्ट ने राष्ट्रीय आय के नए अनुमान में क्रमिक मंदी दिखाई। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 4.4 फीसदी रह गयी जो दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.3 फीसदी और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 13.2 फीसदी थी। रघुराम राजन ने कहा कि यह विकास की हमारी पुरानी हिंदू दर के खतरनाक रूप से करीब है! हमें बेहतर करना चाहिए। लेकिन वास्तव में विकास की हिंदू दर क्या है?
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी आशंकाएं बेवजह नहीं हैं। आरबीआई ने तो चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में और भी कम 4.2 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान जताया है। इस समय, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की औसत वार्षिक वृद्धि तीन साल पहले की तुलना में 3.7 फीसदी है। यह पुरानी हिन्दू वृद्धि दर के बहुत करीब है और यह डराने वाली बात है। हमें इससे बेहतर करना होगा।’’ हालांकि उन्होंने यह माना कि सरकार ढांचागत निवेश के मोर्चे पर काम कर रही है लेकिन विनिर्माण पर जोर दिए जाने का असर दिखना अभी बाकी है। उन्होंने सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन को चमकीला पक्ष बताते हुए कहा कि इसमें सरकार की भूमिका कुछ खास नहीं है।