राष्ट्रीय

कीटनाशकों के छिड़काव तक ही सीमित नहीं है ड्रोन, जैविक खेती में भी जबर्दस्त गुंजाइश: सरकार

कीटनाशकों के छिड़काव तक ही सीमित नहीं है ड्रोन, जैविक खेती में भी जबर्दस्त गुंजाइश: सरकार

इंदौर। केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में ड्रोन की उपयोगिता कीटनाशकों के छिड़काव से कहीं आगे की है तथा जैविक एवं प्राकृतिक खेती में भी इसका इस्तेमाल किये जाने की जबर्दस्त गुंजाइश है। भारत में ड्रोन उद्योग पिछले डेढ़ साल में 6-8 गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा कि भारत का उद्देश्य वर्ष 2030 तक ड्रोन के लिए एक वैश्विक केंद्र बनना है, जिसके लिए ‘उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना’ (पीएलआई) सहित एक उद्योग अनुकूल नीति लागू है।

यहां जी-20 के कृषि प्रतिनिधियों की पहली बैठक के इतर मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘ड्रोन को संकीर्ण दृष्टि से न देखें। सेवा के रूप में ड्रोन उपयोग की बहुमुखी क्षमता और विविधता कहीं अधिक है।’’ कृषि में ड्रोन का उपयोग केवल कीटनाशकों के छिड़काव तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल भूमि के नक्शे को डिजिटल रूप देने और कृषि भूमि के सर्वेक्षण में किया जा सकता है। सिंधिया ने कहा, ‘‘जैविक खेती के लिए ड्रोन का उपयोग भी जबर्दस्त तरीके से हो सकता है। यहां तक कि प्राकृतिक खेती में भी ड्रोन के उपयोग की जबर्दस्त गुंजाइश है।’’ सरकार रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने और जमीन के संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। मध्य प्रदेश वर्तमान में जैविक खेती में अग्रणी है। मौजूदा समय में खेती में ड्रोन उपयोग की अनुमति केवल कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए ही है। भविष्य में कई और उपयोगों के सामने आने की बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ड्रोन के कई इस्तेमाल हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का संकल्प स्पष्ट है कि भारत अब अनुयायी नहीं रह सकता है और देश को दुनिया में अनजान क्षेत्रों में अग्रणी होना चाहिए। ड्रोन एक ऐसा ही क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि 2030 तक ड्रोन के लिए वैश्विक केंद्र बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने त्रिस्तरीय दृष्टिकोण अपनाया है। सबसे पहले सरकार ने कुछ बोझिल नियमों को दूर करते हुए एक मजबूत नीति बनाई है और कारोबार को सुगम किया है। बहुत कम समय में देश में रेड, ग्रीन और येलो जोन में ड्रोन की डिजिटल मैपिंग की गई है। दूसरे, सरकार ड्रोन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना लेकर आई है। उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार पीएलआई योजना इस उद्योग के लिए लाई गई थी, जो अपनी शुरुआती अवस्था में था।’’ उन्होंने कहा कि ड्रोन के लिए पीएलआई योजना में उद्योग के लिए करीब 120 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन शामिल है, जिसका आकार 2021 में केवल 60 करोड़ रुपये था। मंत्री ने आगे कहा कि पीएलआई योजना के ‘‘बहुत अच्छे परिणाम’’ मिले हैं क्योंकि कई कंपनियों ने पंजीकरण कराया है और पिछले डेढ़ साल में उद्योग का आकार 6-8 गुना बढ़ गया है। तीसरा, सरकार ड्रोन की मांग पैदा कर रही है और ड्रोन तकनीक के अनिवार्य उपयोग के लिए कृषि सहित 12 मंत्रालयों को चिन्हित किया है।

कृषि कार्य समूह (एडब्ल्यूजी) की पहली जी-20 कृषि उप-प्रमुखों बैठक का तीन दिन का कार्यक्रम 15 फरवरी को समाप्त होगा। इसने चार प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया जैसे कि खाद्य सुरक्षा और पोषण, जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण के साथ टिकाऊ कृषि, समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखला और खाद्य आपूर्ति प्रणाली और कृषि बदलाव का डिजिटलीकरण। जी-20 कृषि कार्यसमूह की अगली बैठक चंडीगढ़, वाराणसी और हैदराबाद में होने की संभावना है।

IMG-20250402-WA0032

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!