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समिट के बाद अयोध्या आए उद्योगपतियों को प्रोजेक्ट लगाने के लिए जमीन का टोटा

समिट के बाद अयोध्या आए उद्योगपतियों को प्रोजेक्ट लगाने के लिए जमीन का टोटा

लखनऊ। यूपी ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट में भाग लेने आए बड़े-बड़े उद्योगपति और धन्नासेठों ने समिट सम्पन्न होने के बाद उत्तर प्रदेश के पयर्टन स्थल का रूख कर लिया है। मथुरा-काशी से लेकर अयोध्या तक में उद्यमी जा रहे हैं, तो यहां वह निवेश की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। खासकर अयोध्या जहां प्रभु श्री रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है, वहां कई उद्यमी होटल, गेस्ट हाउस या धर्मशाला बनाने के लिए इच्छुक नजर आ रहे हैं, लेकिन उनको इसके लिए जमीन हासिल करना रेत में सुईं तलाशने जैसा हो गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 2020 में अयोध्या में प्रभु राम का मंदिर बनने का रास्ता जब से कोर्ट के आदेश के बाद खुला है उसके बाद यहां की जमीन की कीमतें अचानक से आसमान के रेट छूने लगी है। इतना ही नहीं मौके का फायदा उठाते हुए सभी दलों के कई सफेदपोश और नौकरशाहों ने यहां की जमीन पहले ही से अपने या अपने रिश्तेदारों के नाम से खरीद कर डाल दी है। इसके अलावा काफी जमीन संत-महात्माओं ने धार्मिक कार्यक्रम के लिए ले रखी है। स्थिति यह है कि मंदिर के आसपास करीब 20-30 किलोमीटर तक 10-15 हजार रूपए वर्गफिट तक जमीन ही उपलब्ध नहीं है।

दरअसल, प्रभु राम लला की जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद रामलला के मंदिर निर्माण और नई अयोध्या के विकास ने हर व्यक्ति के मन में यह लालसा पैदा कर दी है कि रामनगरी में उसकी जमीन हो। इस मांग ने अयोध्या के रियल एस्टेट में बूम ला दिया है। जमीन की कीमतें बढ़ गई हैं। इसी बीच कुछ माह पूर्व अयोध्या विजन डॉक्यूमेंट की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी का कहना कि अयोध्या के विकास को एक आध्यात्मिक केंद्र, वैश्विक पर्यटन केंद्र और एक स्थायी स्मार्ट शहर के रूप में देखा जा रहा है। पीएम के इस बयान ने अयोध्या में जमीन खरीद रहे लोगों में विश्वास पैदा कर दिया है।

प्रॉपर्टी डीलरों और स्थानीय निवासियों ने बताया कि राम मंदिर के 10 किमी के दायरे में संपत्ति की कीमतें सालाना पांच से सात प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं, पर नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से इसमें लगभग चार से छह गुना वृद्धि देखी गई है। अयोध्या जिले के स्टाम्प और पंजीकरण विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि संपत्ति की बढ़ती कीमतों के साथ, भूमि लेनदेन (संपत्ति पंजीकरण) में भी 2017-18 और 2020-21 के बीच 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। अयोध्या स्टाम्प और पंजीकरण विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017-18 में जिले में कुल 5,962 भूमि लेनदेन पंजीकृत हुए, जबकि 2018-19 में यह संख्या 15,084 हो गई। वर्ष 2019-20 में, कुल 16,285 भूमि तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में 19,818 भूमि लेनदेन पंजीकृत हुए। स्टांप और पंजीकरण विभाग के अफसरों के अनुसार, विभाग ने 2018-19 में भूमि पंजीकरण से राजस्व के रूप में 112.35 करोड़ रुपए मिले तो वर्ष 2019-20 में 125.51 करोड़ रुपए और वर्ष 2020-21 में 151.68 करोड़ रुपए कमाए गए। आज की स्थिति यह है कि अब अयोध्या में कोई नया प्रोजेक्ट लगाने के लिए जमीन ही उपलब्ध नहीं है।

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