Economic Survey में दिखा ट्रेलर, 1 फरवरी को दिखेगी पूरी पिक्चर, सीतारमण के बजट से हैं आम लोगों को हैं ये उम्मीदें
Economic Survey में दिखा ट्रेलर, 1 फरवरी को दिखेगी पूरी पिक्चर, सीतारमण के बजट से हैं आम लोगों को हैं ये उम्मीदें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल (1 फरवरी) अपना पांचवां बजट भाषण पेश करेंगी। उम्मीद है कि वह विकास और राजकोषीय घाटे को संतुलित करते हुए वेतनभोगी करदाताओं, मध्यम वर्ग और वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर राहत उपायों की घोषणा करेंगी। इस बीच, संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो गया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023 भी आज संसद में पेश किया गया। आर्थिक सर्वे में साल 2023-24 में भारत की विकास दर 6.8 फीसदी का अनुमान लगाया गया है। साल 2022-23 में विकास दर 7 फीसदी आंकी गई थी जबकि साल 2021-22 में 8.7 प्रतिशत रही थी। बजट और आम जनता का सीधा कनेक्शन टैक्स को लेकर किए गए ऐलान से ही होता है। उसकी अपनी वजह भी है। अब रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाता है और कई बार रेल विभाग को लेकर बड़े ऐलान बजट से हटकर किए जाते हैं। कोरोना महामारी में टैक्स को लेकर कई तरह की रियायतें की गई थीं। महंगाई से जूझ रहे नौकरी पेशा लोगों को इस बार टैक्स को लेकर बहुत उम्मीदें हैं।
महंगाई पर लगेगी लगाम
साल 2022 में आम लोगों को महंगाई ने परेशान किया है। ऐसे में साल 2023 में पेश किए जाने वाले बजट से लोगों को उम्मीद है कि उन्हें महंगाई से राहत मिलेगी। सरकार खाने-पीने की जरूरी चीजों पर टैक्स कम करने पर विचार कर सकती है। बजट से महिलाओं को उम्मीद हैं कि उन्हें रसोई गैस के दामों में राहत मिलेगी. इससे उन्हें महंगाई से राहत मिलेगी।
आम आदमी की उम्मीदें होंगी पूरी?
2014 के बाद से ही आम आदमी यह उम्मीद कर रहा है कि सरकार इनकम टैक्स की बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ा दें। अभी तक 2.50 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं लगता है। यह पुराना टैक्स स्लैब है। इसके बाद 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक की छूट मिलती है। नए टैक्स स्लैब में 7 लाख रुपए तक के टैक्सेबल इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता। लेकिन इसके ऊपर कोई छूट नहीं मिलती है।
शेयर निवेशकों को संतुलित बजट की उम्मीद
शेयर बाजार के निवेशकों को इस बार संतुलित बजट की उम्मीद है। उनका मानना है कि सरकार आम बजट में रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने, घाटे पर काबू पाने और अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने पर जोर देगी। आम बजट से पहले शेयर बाजारों में सुस्ती का रुख है। इस महीने बीएसई सेंसेक्स लगभग सपाट रहा है। यहां तक कि कंपनियों के तिमाही नतीजे भी बाजारों को उत्साहित करने में विफल रहे। हालांकि, आईटी और बैंक जैसे कुछ सूचकांकों में सकारात्मक हलचल देखी गई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक घरेलू शेयर बाजारों से 16,500 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। इसके अलावा मुद्रास्फीति और वैश्विक मंदी की आशंका से भी निवेशक सतर्क हैं।