धर्म

बप्पा और भगवान विष्णु को समर्पित है अनंत चतुर्दशी का दिन, जानिए कैसे करें पूजन

बप्पा और भगवान विष्णु को समर्पित है अनंत चतुर्दशी का दिन, जानिए कैसे करें पूजन


अनंत चतुर्दशी का दिन हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद ही खास माना जाता है। इस दिन भक्तगण भगवान विष्णु और बप्प की पूजा अर्चना करते हैं। दरअसल, गणपति पूजन भाद्रपद महीने में गणेश चतुर्थी से आरंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। साथ ही, भक्तगण यह कामना करते हैं कि बप्पा अगले साल फिर उनके घर पधारेंगे। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको अनंत चतुर्दशी के दिन के महत्व और उसे सही तरह से मनाने के तरीके के बारे में बता रहे हैं-

अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी के दिन को हिन्दू धर्म में बहुत अधिक मान्यता दी गई है। इस दिन गणपति विसर्जन के साथ ही भगवान विष्णु का पूजन भी किया जाता है। जहां एक ओर भक्तगण गणपति विसर्जन करते हैं, वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु जी की पूजा व आराधना करने के साथ-साथ व्रत भी रखा जाता है। बता दें कि प्रत्येक वर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

इसे भी पढ़ें: गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान ना करें यह गलतियां
अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की पूजा का शुभ मुहूर्त, 09 सितंबर सुबह 06 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर शाम 06 बजकर 07 मिनट तक है। इस साल यह दिन इसलिए भी विशेष है, क्योंकि इस बार दो शुभ योग रवि और सुकर्मा योग बने हुए हैं।

अनंत चतुर्दशी का पूजन

अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश उत्सव का समापन हो जाता है। इस खास दिन गणपति जी का पूजन करने के बाद भक्तगण गणेश जी की मूर्तियों को जल में विसर्जित कर देते हैं। साथ ही, इस दौरान वह यह भी कामना करते हैं कि अगले साल वह फिर से बप्पा का स्वागत करें।

इसे भी पढ़ें: सितंबर में मनाए जाएंगे यह प्रमुख त्योहार, जानिए इनकी तिथि
वहीं, अनंत चतुर्दशी के दिन लोग विष्णु जी की पूजा करने के दौरान विष्णु सहस्त्रनामा का भी पाठ करते हैं और व्रत करते हैं। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई थी। पूजन के लिए आप सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। अब अपने पूजन स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें या फिर आप मंदिर जाकर भी पूजर का सकते हैं। पूजन के दौरान सिंदूर, केसर और हल्दी में डुबोकर 14 गांठों वाला धागा तैयार कर लें। इस धागे को श्रीहरि की मूर्ति के सामने रखें। पूजा के बाद मंत्र का जाप करें और रक्षा सूत्र को हाथों में बांधे। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीले पुष्प और मिठाई अर्पित करें।

IMG-20250402-WA0032

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!