ऑटो रिक्शा के ठेके के मामले में चेयरपर्सन की आरसी जारी
ऑटो रिक्शा के ठेके के मामले में चेयरपर्सन की आरसी जारी

मुजफ्फरनगर। साल 2018-19 के ऑटो रिक्शा टेंपो शुल्क के ठेके के मामले में शासकीय धन की क्षति को लेकर पालिकाध्यक्ष अंजू अग्रवाल की 1,95,223 रुपये की आरसी (वसूली मांग पत्र) जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश पालिका अधिनियम की धारा 48-2 (ख) के अंतर्गत शासकीय नुकसान को भू राजस्व की बकाया धनराशि के तरह वसूली की जाएगी।
नगर विकास अनुभाग-दो के पत्र के बाद डीएम चंद्रभूषण सिंह ने वसूली मांग पत्र जारी किया। शिकायतकर्ता सभासद राजीव कुमार शर्मा और जन विकास सोसाइटी के अध्यक्ष खालिद ने 21 जनवरी 2019 को शिकायत करते हुए कहा था कि वर्ष 2018-19 में ऑटो रिक्शा टेंपो शुल्क की वसूली के ठेके के लिए सार्वजनिक नीलामी 13 जून 2018 को कराई गई थी। अधिकतम बोली एक लाख 40 हजार प्राप्त हुई, लेकिन पालिकाध्यक्ष ने बोली को उचित न मानते हुए दोबारा 10 जुलाई 2018 को नीलामी की सूचना का प्रकाशन समाचार पत्रों में कराया। इसके बावजूद नीलामी नहीं की गई।
तत्कालीन अधिशासी अधिकारी को कर्मचारियों से वसूली कराने का आदेश दिया था। शिकायतकर्ताओं का कहना था कि पालिकाध्यक्ष ने 64,183 रुपये विज्ञापनों पर व्यय किया था। पालिका के कर्मचारियों ने सिर्फ 8,960 रुपये की वसूली की। इस तरह पालिका को कुल एक लाख 95 हजार 223 रुपये का नुकसान हुआ। शासन ने डीएम से मामले की जांच कराई तो आरोप सही पाए गए। पालिकाध्यक्ष कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकीं। नगर विकास विभाग ने उन्हें शासकीय नुकसान पर धनराशि जमा कराने के निर्देश दिए गए थे। डीएम चंद्रभूषण सिंह ने बताया कि धनराशि जमा नहीं कराई गई है, जिसके बाद वसूली मांगपत्र जारी किया गया है।
इन शिकायतों में भी घिरीं चेयरपर्सन
नगरपालिका अधिनियम 1916 की धारा 59 और 66 के विपरीत नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रविंद्र सिंह राठी को वित्तीय अधिकार दिए गए थे। शिकायत के बाद जांच हुई तो पालिकाध्यक्ष ने तत्कालीन प्रभारी अधिशासी अधिकारी नगर मजिस्ट्रेट पर आरोप लगाए, लेकिन जांच में पुष्टि नहीं हुई। शासन ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी को वित्तीय अधिकारी दिए जाने को गलत माना है।
पालिकाध्यक्ष पर आरोप लगाया गया था कि 04 जून 2019 को पालिका बोर्ड की बैठक में कर विभाग के शासनादेश एक सितंबर 1977 के अनुपालन में शिकमी किराएदारों की दृष्टि से मार्केट साइज, किराएदारों की संख्या, किराए और प्रीमियम की धनराशि निर्धारित की गई थी। छह सदस्यीय समिति में स्थानीय प्राधिकारी और विभागीय अधिकारी शामिल नहीं किए गए। सभासदों को नामित अध्यक्ष बनाकर नियम तोड़ा गया है। शासन ने इसे भी सही नहीं माना है।
जानकारी मिली, नोटिस नहीं मिला : अंजू अग्रवाल
चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल का कहना है कि उन्हें भी रविवार को ही जानकारी मिली है, अभी नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है।
कब क्या हुआ
शासन से शिकायत के बाद डीएम ने 18 अगस्त 2019 को जांच रिपोर्ट भेजी थी। जिसके बाद चेयरपर्सन को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। 30 मई 2020 को चेयरपर्सन ने जवाब में कहा कि कुछ पृष्ठ अपठनीय हैं। शासन ने 23 जून 2020 को फिर सभी अभिलेख भेजे। 21 जनवरी 2021 को डीएम ने प्रति आख्या शासन को भेजी। अपर मुख्य सचिव नगर विकास विभाग ने व्यक्तिगत सुनवाई के लिए चेयरपर्सन को पत्र भेजा गया था। उनकी ओर से दिए गए जवाब से शासन संतुष्ट नहीं हुआ और रिकवरी नोटिस जारी कर दिया।