लगभग 4,800 निर्वाचित सांसद और विधायक भारत के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए आज (18 जुलाई) मतदान करेंगे। एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को विपक्ष के यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार हैं। मतदान संसद भवन और राज्य विधानसभाओं में होगा, जिसके लिए मतपेटियां पहले ही अपने गंतव्य तक पहुंच चुकी हैं। वोटों की गिनती 21 जुलाई को संसद भवन में होगी और अगले राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे। इसे भी पढ़ें: आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 13 से 15 अगस्त तक हर घर पर लहरायेगा तिरंगा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचक मंडल में निर्वाचित सांसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं। मनोनीत सांसद और विधायक, और विधान परिषद के सदस्य इस चुनाव में मतदान करने के हकदार नहीं हैं। इसे भी पढ़ें: प्लास्टिक प्रतिबंध को सही तरह लागू करने के लिए स्थानीय संग्रह केंद्रों की जरूरत: विशेषज्ञ द्रौपदी मुर्मू को समर्थन कौन कौन देगा भाजपा, उसके सहयोगियों और कई गैर-एनडीए दलों द्वारा समर्थित, द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद के लिए बड़ी दावेदार मानी जा रही हैं। बीजद, वाईएसआरसीपी, बसपा, अन्नाद्रमुक, तेदेपा, जद (एस), शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और झामुमो जैसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन के साथ, मुर्मू का वोट शेयर लगभग 60 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। निर्वाचित होने पर, वह शीर्ष संवैधानिक पद पर काबिज होने वाली आदिवासी समुदाय की पहली महिला बन जाएंगी। यशवंत सिन्हा दौड़ में रह सकते हैं पीछे? दूसरी ओर यशवंत सिन्हा को कांग्रेस, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद, भाकपा, माकपा, टीआरएस, द्रमुक, एआईएमआईएम, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रालोद और कुछ अन्य छोटे दलों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि वह जीत हासिल करने के लिए जरूरी संख्या से काफी कम रह जाएंगे। चुनाव की पूर्व संध्या पर सांसदों और विधायकों को एक खुले पत्र में, सिन्हा ने चुनाव में अंतरात्मा की आवाज के साथ मतदान करने का आग्रह किया। उन्होंने मुर्मू पर भी हमला करते हुए कहा कि अगर वह चुनी जाती हैं, तो वह “मौन, दृढ़ और रबर-स्टैम्प राष्ट्रपति” बन जाएंगी।
लगभग 4,800 निर्वाचित सांसद और विधायक भारत के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए आज (18 जुलाई) मतदान करेंगे। एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को विपक्ष के यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार हैं। मतदान संसद भवन और राज्य विधानसभाओं में होगा, जिसके लिए मतपेटियां पहले ही अपने गंतव्य तक पहुंच चुकी हैं। वोटों की गिनती 21 जुलाई को संसद भवन में होगी और अगले राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे। इसे भी पढ़ें: आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 13 से 15 अगस्त तक हर घर पर लहरायेगा तिरंगा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचक मंडल में निर्वाचित सांसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं। मनोनीत सांसद और विधायक, और विधान परिषद के सदस्य इस चुनाव में मतदान करने के हकदार नहीं हैं। इसे भी पढ़ें: प्लास्टिक प्रतिबंध को सही तरह लागू करने के लिए स्थानीय संग्रह केंद्रों की जरूरत: विशेषज्ञ द्रौपदी मुर्मू को समर्थन कौन कौन देगा भाजपा, उसके सहयोगियों और कई गैर-एनडीए दलों द्वारा समर्थित, द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद के लिए बड़ी दावेदार मानी जा रही हैं। बीजद, वाईएसआरसीपी, बसपा, अन्नाद्रमुक, तेदेपा, जद (एस), शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और झामुमो जैसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन के साथ, मुर्मू का वोट शेयर लगभग 60 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। निर्वाचित होने पर, वह शीर्ष संवैधानिक पद पर काबिज होने वाली आदिवासी समुदाय की पहली महिला बन जाएंगी। यशवंत सिन्हा दौड़ में रह सकते हैं पीछे? दूसरी ओर यशवंत सिन्हा को कांग्रेस, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद, भाकपा, माकपा, टीआरएस, द्रमुक, एआईएमआईएम, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रालोद और कुछ अन्य छोटे दलों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि वह जीत हासिल करने के लिए जरूरी संख्या से काफी कम रह जाएंगे। चुनाव की पूर्व संध्या पर सांसदों और विधायकों को एक खुले पत्र में, सिन्हा ने चुनाव में अंतरात्मा की आवाज के साथ मतदान करने का आग्रह किया। उन्होंने मुर्मू पर भी हमला करते हुए कहा कि अगर वह चुनी जाती हैं, तो वह "मौन, दृढ़ और रबर-स्टैम्प राष्ट्रपति" बन जाएंगी।

सरकार प्रतिस्पर्धा, दिवाला कानूनों में बदलाव के लिए ला सकती है विधेयक
नयी दिल्ली| केंद्र सरकार नियामकीय व्यवस्था को मजबूत करने और नए दौर के बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिस्पर्धा और दिवाला कानून में संशोधन संबंधी विधेयक इस मानसून सत्र में पेश कर सकती है।
सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में इन कानूनों में संशोधन करने संबंधी विधेयकों को पेश करने, चर्चा तथा पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी), 2016 को कंपनी मामलों का मंत्रालय लागू करता है। लोकसभा बुलेटिन के मुताबिक, प्रतिस्पर्धा (संशोधन), विधेयक 2022 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के शासकीय ढांचे में कुछ आवश्यक संरचनात्मक बदलाव प्रस्तावित हैं। इसके अलावा नए दौर के बाजार की जरूरतों के लिए कुछ प्रावधानों में परिवर्तन का भी प्रस्ताव है।
इसके अलावा दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (संशोधन), विधेयक, 2022 भी मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। इसमें सीमापार दिवाला के लिए प्रावधानों को शामिल करके संहिता को मजबूत करने का प्रस्ताव है।
बुलेटिन के मुताबिक, कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया को प्रभावी बनाने और दबावग्रस्त संपत्तियों के समयबद्ध समाधान तथा उनके मूल्य को अधिकतम करने के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिहाज से भी कुछ अन्य संशोधनों का प्रस्ताव है।