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Rupee Vs Dollar: भारतीय रुपये में विदेशी लेन-देन बढ़ाने का फैसला, अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देने के लिए RBI ने कसी कमर

Rupee Vs Dollar: भारतीय रुपये में विदेशी लेन-देन बढ़ाने का फैसला, अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देने के लिए RBI ने कसी कमर


अमेरिका की करेंसी की मजबूती का इतिहास पुराना है। दुनिया को कर्ज का भुगतान करने के लिए अमेरिका की क्षमता में जो विश्वास है, वह वैश्विक व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए डॉलर को सबसे अधिक स्थापित करंसी के रूप में रखता है। लेकिन अब लगातार डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में आती कमजोरी को थामने के साथ व्यापार के मोर्चे पर अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देने के लिए रिजर्व बैंक ने पूरी तैयारी कर ली है। आरबीआई जल्द ही ऐसी व्यवस्था बनाने वाला है जिसके बाद ग्लोबल मार्केट में लेनदेन के लिए डॉलर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी और हम सीधे रुपये में कारोबार कर सकेंगे।

नहीं पड़ेगा प्रतिबंधों का प्रभाव

भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय रुपये में इनवॉइसिंग, पेमेंट और आयात या निर्यात के निपटान के लिए एक अतिरिक्त व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। इस मैकेनिज्म को लागू करने से पहले, एडी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई के केंद्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग से अप्रूवल की आवश्यकता होगी। विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत भारतीय रुपये में सीमा पार व्यापार लेनदेन के लिए सभी निर्यात और आयात को रुपये में मूल्यवर्गित और इन्वॉइस किया जा सकता है। दो ट्रेडिंग पार्टनर देशों की मुद्राओं के वीच विनिमय दर बाजार निर्धारित हो सकती है।

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लेनदेन का सेटलमेंट भारतीय रुपये में होगा

इस व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का सेटलमेंट भारतीय रुपये में होगा। इस व्यवस्था के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय व्यापार लेनदेन के निपटान की अनुमति देने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि भारत के आयातकों को भारतीय रुपये में पेमेंट करना होगा, जिसे पार्टनर देश के बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा। इसके माध्यम से प्रॉडक्ट्स और सर्विस का निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को पार्टनर देश के बैंक के नामित स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट में शोष राशि से भारतीय रुपये में भुगतान किया जाएगा।

खोले जाएंगे वोस्ट्रो खातें

परिपत्र के मुताबिक, व्यापार सौदों के समाधान के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार कारोबारी देश के अभिकर्ता बैंक के विशेष रुपया वोस्ट्रो खातों की जरूरत होगी। केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘इस व्यवस्था के जरिये भारतीय आयातकों को विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के इन्वॉयस या बिल के एवज में भारतीय रुपये में भुगतान करना होगा जिसे उस देश के अभिकर्ता बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा।’’ इसी तरह विदेश में वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति करने वाले निर्यातकों को उस देश के निर्दिष्ट बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा राशि से भारतीय रुपये में भुगतान किया जाएगा। इस व्यवस्था से भारतीय निर्यातक विदेशी आयातकों से अग्रिम भुगतान भी रुपये में ले सकेंगे।

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