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देवबंद का चुनावी गणित, जहां एक तिहाई आबादी के साथ मुस्लिम अव्वल, लेकिन राजपूतों का राज

देवबंद का चुनावी गणित, जहां एक तिहाई आबादी के साथ मुस्लिम अव्वल, लेकिन राजपूतों का राज


उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण की 55 सीटों के लिए आज वोटिंग हो रही है। लेकिन इन 55 सीटों में से एक सीट ऐसी भी है जहां बोलबाला तो आबादी के हिसाब से मुस्लिमों का है लेकिन जीत ज्यादातर राजपूत उम्मीदवार की ही होती है। हम हैं सहारनपुर जिले की देवबंद सीट के बारे में बात कर रहे हैं। देवबंद जो इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूम उलूम की वजह से दुनियाभर के मुसलमानों के बीच खासा लोकप्रिय है। ।यहां से निकला सियासी संदेश अन्य चरणों के चुनाव में भी अहमियत रखता है और ध्रुवीकरण की संभावनाओं को भी बढ़ाता है। वैसे तो ये सीट 1952 से नौ बार कांग्रेस के कब्जे में रहा है, लेकिन वर्तमान में इस पर बीजेपी का कब्जा है।

राजपूत जाति से आने वाले बृजेश सिंह यहां से विधायक हैं। जपकि सपा ने भी इस बार जाति कार्ड खेलते हुए कार्तिकेय राणा (राजपूत) को मैदान में उतारा है। बसपा से चौधरी राजेंद्र सिंह और कांग्रेस से राहत खलील ताल ठोक रहे हैं। एआईएमआईएम ने जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के भतीजे उमेर मदनी को प्रत्याशी बनाया है। यहां का सारा गणित इसपर टिका हुआ है कि मुस्लिम मतों में बसपा, कांग्रेस और एआईएमआईएम कौन सबसे ज्यादा सेंधमारी करता है। भाजपा का सारा जोर ध्रुवीकरण पर है। भाजपा का सारा जोर ध्रुवीकरण पर है और इसी के साथ भाजपा और सपा प्रत्याशी के सामने सजातीय राजपूत वोटों का बिखराव रोकने की चुनौती है। आजादी के बाद से इस सीट पर कांग्रेस पार्टी ने नौ दफा जीत दर्ज की। वहीं बीजेपी का कमल इस सीट पर तीन बार खिला है। जनता पार्टी को भी इस सीट पर एक बार सफलता मिली है। देवबंद सीट पर तीन बार राजपूत समुदाय के उम्मीदवार को जीत हासिल हुई है।
जातिगत आंकड़ा

मुस्लिम 1 लाख 70 हजार
एससी 69 हजार
राजपूत 37 हजार
गुर्जर 32 हजार
त्यागी 17 हजार
ब्राह्मण 24 हजार

2017 के चुनाव परिणाम

उम्मीदवार पार्टी वोट

ब्रजेश भाजपा 102,244

माजिद अली बसपा 72,844

माविया अली सपा 55,385

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