नई शिक्षानीति का असर: स्कूलों में अब नहीं बनेगा रिपोर्ट कार्ड, प्रोग्रेस कार्ड से झलकेगी बच्चे की पर्सनैलिटी
नई शिक्षानीति का असर: स्कूलों में अब नहीं बनेगा रिपोर्ट कार्ड, प्रोग्रेस कार्ड से झलकेगी बच्चे की पर्सनैलिटी

एक क्लास की पढ़ाई पूरी करने के बाद आता है रिजल्ट. मम्मी-पापा से लेकर फ्रेंड्स तक सभी रिजल्ट के तौर मिलने वाले रिपोर्ट कार्ड देखना चाहते हैं. किस विषय में कितने नंबर आए, क्लास में क्या पोजिशन आई जैसे सवालों का जवाब इसी से मिलता है. लेकिर नई शिक्षा नीति में इस पुरानी धारणा को तोड़ने की संस्तुति की गई है. ताकि बच्चों के बीच नंबर्स को लेकर कोई भेदभाव न पनपे. आने वाले सालों में बच्चों को रिपोर्ट कार्ड की जगह स्कूल हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड देंगे. जानिए- ये क्या है.
बदलेगा रिपोर्ट कार्ड का पैटर्न
अब सिर्फ एग्जाम में मिले ग्रेड और विषयों में मिले नंबरों के आधार पर रिपोर्ट कार्ड नहीं बनाए जाएंगे. नये बदलाव के तहत स्कूल में बच्चे को पढ़ाने वाले टीचर्स, सहपाठी और यहां तक कि पेरेंट्स का फीडबैक भी रिपोर्ट कार्ड में शामिल किया जाएगा. यह कहलाएगा HPC जिसका फुल फॉर्म है हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड.
बता दें कि बीते तीन सालों से नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की बॉडी PARAKH के अंतर्गत विशेषज्ञों की टीम नए पैटर्न के रिपोर्ट कार्ड तैयार करने पर काम रही है. इसके तहत पहली से 8वीं कक्षा तक के लिए रिपोर्ट कार्ड का नया पैटर्न तैयार कर लिया गया है. वहीं, 9 से 12 तक के स्टूडेंट्स के लिए नये रिपोर्ट कार्ड बनाए जा रहे हैं.
HPC में क्या होगा नया
नए हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड को नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन (NCFSE) की संस्तुति के अनुसार तैयार किया जा रहा है. इस रिजल्ट में नबंरों की जगह लर्निंग पर फोकस किया गया है. बच्चे ने कितने सवाल हल करके कितने नंबर पाए से ज्यादा इस बात पर जोर रहेगा कि बच्चे ने पूरे साल कितना सीखा. इससे न सिर्फ स्टूडेंट्स का एकेडमिक रिकॉर्ड रखने में मदद मिलेगी बल्कि स्टूडेंट्स खुद भी रिपोर्ट कार्ड मेकिंग प्रोसेस का हिस्सा बन सकेंगे.