चेतावनी बिंदु से सिर्फ 24 सेंमी दूर जलस्तर: सड़कों पर गंगा की लहरें, बाढ़ जैसे हालात, अगले 24 घंटे बेहद अहम
चेतावनी बिंदु से सिर्फ 24 सेंमी दूर जलस्तर: सड़कों पर गंगा की लहरें, बाढ़ जैसे हालात, अगले 24 घंटे बेहद अहम

वाराणसी में गंगा एक बार फिर रौद्र रूप में आ गई हैं। गुरुवार की सुबह गंगा के जलस्तर की रफ्तार छह सेंटीमीटर प्रति घंटा हो गई। केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जलस्तर चेतावनी बिंदु से महज 24 सेंटीमीटर दूर है और अगले 24 घंटे बेहद अहम हैं।
गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ाव शुरू हो गया है। गुरुवार की सुबह गंगा के जलस्तर की रफ्तार छह सेंटीमीटर प्रति घंटा हो गई। सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 70.02 मीटर दर्ज किया गया। जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की आशंका बढ़ गई है। केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जलस्तर चेतावनी बिंदु से महज 24 सेंटीमीटर दूर है और अगले 24 घंटे बेहद अहम हैं। रफ्तार यही रही तो 24 घंटे के अंदर गंगा का जलस्तर लाल निशान को पार कर जाएगा।
बुधवार को गंगा का जलस्तर अस्सी घाट के मुहाने तक जाती सड़क पर लहराने लगा था। पहाड़ों पर बारिश और बांध से छोड़े गए पानी का प्रवाह पहुंचने की वजह से काशी में गंगा का जलस्तर दोबारा चुनौती भरा हो गया है। वहीं, गंगा में बढ़ाव से वरुणा में भी पलट प्रवाह फिर शुरू हो गया है। गंगा सहित वरुणा तटवासी अब बाढ़ की आशंका से सहमे हुए हैं।
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 69.19 मीटर था जो प्रतिघंटे पौने चार सेंटीमीटर की रफ्तार के साथ मध्याह्न 12 बजे यह 69.34 मीटर दर्ज किया गया।
इसके बाद बढ़ाव की रफ्तार कुछ कम हुई और प्रतिघंटे 2.3 सेंटीमीटर पानी बढ़ते हुए दोपहर तीन बजे 69.49 मीटर एवं सायं छह बजे 69.48 मीटर पहुंच गयी थी। इसके बाद जलस्तर बढ़ने की रफ्तार एक बार फिर तेज हुई और तीन सेंटीमीटर की गति को पकड़ते हुए सायं सात बजे 69.51 मीटर और रात आठ बजे 69.54 का आंकड़ा दर्ज करायी। इसी तरह बढ़ाव आगे भी जारी रहा तो अगले 24 घंटों में जलस्तर चेतावनी बिंदु को छू लेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार गंगा का जलस्तर अभी और बढे़गा जो कि बाढ़ का रूप लेगा, क्योंकि उत्तराखंड व मध्य प्रदेश में हुए बारिश के चलते वहां की नदिया उफान पर है। दूसरी ओर धौलपुर बैराज व माता टीला डैम से लगभग 11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे गंगा में बाढ़ आने की संभावना बढ़ गयी है। चंबल नदी पर बने धौलपुर बैराज से लगभग सात हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जबकि बेतवा नदी पर बने माता टीला डैम से लगभग चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसके प्रवाह का प्रभाव गंगा में पड़ना निश्चित है। माना जा रहा है कि चंबल नदी के कारण गंगा बढ़ाव पर है। जानकारी के अनुसार चंबल नदी में इन दिनों 1996 के बाद दूसरी व्यापक बाढ़ आई हुई है। जिसका पानी औरैया-इटावा जिले में यमुना से मिलता है और यमुना का पानी प्रयागराज में आकर गंगा में मिलता है। जिसकी वजह से गंगा का पानी आगे और भी बढ़ने लगा है।
गंगा में बुधवार से दोबारा जलस्तर बढ़ने से सहायक नदी वरुणा भी शहरी इलाकों में घुसने लगी है। वरुणा के पलट प्रवाह से अब तक दर्जनों इलाकों और कालोनियां डूब चुकी हैं। तटवर्ती इलाके में रहने वाले लोग वरुणा के बढ़े जलस्तर से परेशान हैं। सरैया, कोनिया, सलारपुर, तातेपुर, शैलपुत्री तीनपुलउवा, धोबिया घाट, उचवा, दीनदयालपुर, नक्खीघाट, हिदायत नगर, तालीम नगर, अंसार नगर, बिछुआ घाट, हुकूलगंज, मोजाहाल, बघवानाला क्षेत्र की स्थिति बदतर हो चुकी है। इन क्षेत्रों में बाढ़ में फंसी आबादी या तो राहत शिविर में परिवार के साथ दिन काट रहे हैं या फिर मकान के छतों पर तिरपाल लगा कर जैसे-तैसे दिन गुजार रहे हैं। वहीं, गंगा में फिर बढ़ाव होते ही प्रभावित दर्जनों परिवारों में मायूसी छा गई है। नक्खीघाट निवासी हाबुद्दीन उर्फ कल्लू, बबलू, नूरजहां, मीराघाट के सलीम, इकबाल, श्याम बाबू, मुनीम, शकीला रहमान, हनीफ काजू और मोहम्मद अली मेराज ने बताया कि सोमवार से गंगा में घटाव होने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि उनकी मुश्किलें अब खत्म हो जायेंगी, लेकिन पानी बढ़ने से अब बाढ़ का डर सता रहा है।