जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अगले माह बढ़ सकती हैं बिजली की दरें, घरेलू उपभोक्ताओं को पड़ेगी महंगाई की मार
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अगले माह बढ़ सकती हैं बिजली की दरें, घरेलू उपभोक्ताओं को पड़ेगी महंगाई की मार

नियामक आयोग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सभी वर्गों में बिजली के प्रति यूनिट रेट औसतन 18 फीसदी बढ़ाने के प्रस्ताव पर गौर कर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने का काम हो रहा है। नई दरें जम्मू कश्मीर के अलावा लद्दाख में भी लागू होंगी।
जम्मू-कश्मीर में सितंबर से उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका लगा सकता है। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली किराया बढ़ोतरी के विभाग के प्रस्ताव पर जन सुनवाई से लेकर बिजली विभाग के अधिकारियों का पक्ष जानने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है। जल्द ही आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है।
नियामक आयोग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सभी वर्गों में बिजली के प्रति यूनिट रेट औसतन 18 फीसदी बढ़ाने के प्रस्ताव पर गौर कर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने का काम हो रहा है। नई दरें जम्मू कश्मीर के अलावा लद्दाख में भी लागू होंगी।
सूत्रों के अनुसार गत वर्ष बिजली विभाग ने 2946 करोड़ की बिजली खरीदी, लेकिन बिजली किराये से करीब 1476 करोड़ का राजस्व ही हासिल हुआ। इसके अलावा बिजली ढांचा मरम्मत, कर्मचारियों के वेतन व अन्य खर्च मिलाकर विभाग को करीब 2003 करोड़ का घाटा सहना पड़ा है। इस घाटे से उबरने के लिए विभाग ने बिजली किराया बढ़ोतरी का प्रस्ताव मई 2022 में विद्युत नियामक आयोग को सौंपा था।
नियामक आयोग अगर बिजली विभाग के प्रस्ताव पर पूरी तरह से मुहर लगा देता है तो विभाग के सालाना राजस्व में करीब 412 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी।
बिजली किराया बढ़ोतरी के प्रस्ताव में सौ यूनिट तक दो रुपये और 400 यूनिट तक पांच रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। बिना मीटर लगे इलाकों में एक किलोवाट से दो किलोवाट तक का किराया पहले 650 रुपये था जिसे बढ़ाकर 800 रुपये प्रति माह करने का प्रस्ताव है।
औद्योगिक क्षेत्रों में एलटी बिजली आपूर्ति वाले क्षेत्रों में प्रति किलोवाट का किराया पहले साढ़े तीन रुपये प्रति यूनिट था जोकि बढ़कर पांच रुपये प्रति यूनिट तक हो सकता है।
बिजली किराया बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर जम्मू पावर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड नियामक आयोग के दिशा निर्देशों के तहत आयोग व हितधारकों के साथ बैठक की प्रक्रिया पूरी कर चुका है। किराया बढ़ोतरी पर आखिरी फैसला जम्मू कश्मीर और लद्दाख विद्युत नियामक आयोग को ही लेना है।