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UP में है एक ऐसा गांव… जहां किसी भी घर में नहीं मिलेगी TV, वजह सुन चकरा जाएगा माथा

UP में है एक ऐसा गांव... जहां किसी भी घर में नहीं मिलेगी TV, वजह सुन चकरा जाएगा माथा

हमारा भारत देश आज चांद पर पहुंच गया है और लगातार तरक्की की ओर आगे बढ़ रहा है. लेकिन यूपी के अमेठी जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां एक भी टेलीविजन नहीं है. इस गांव में सालों पुरानी अजब-गजब परंपरा आज भी चली आ रही है, जिसका निर्वहन गांव का हर सदस्य करता है. गांव में सभी मूलभूत सुविधाएं हैं, लेकिन गांव में अगर किसी चीज की कमी है, तो वो टीवी की है. खास बात यह है कि टेलीविजन ना रखने की परंपरा आज से नहीं, बल्कि कई सालों से निभाई जा रही है.

इस गांव का नाम ऐंठा है, जहां सैकड़ों घर की आबादी है. इस गांव में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, किसी को भी टीवी देखने में कोई रूचि नहीं है. गांव के लोग घूमने-फिरने के शौकीन हैं. सभी घरों में फ्रिज, ऐसी, कूलर, पंखे, गीजर, आरो और सभी मूलभूत सुविधाएं हैं. हैरान कर देने वाली बात टीवी ना रखने वाली है. इस गांव में 5000 से अधिक हाईफाई और सामान्य मोबाइल फोन लोग इस्तेमाल करते हैं. गांव में सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा आज भी स्थापित है. गांव के लोग सब कुछ इस्तेमाल करते हैं, लेकिन टीवी का इस्तेमाल आज तक इस गांव के किसी घर में नहीं हुआ है.

शादी विवाह में भी नहीं मिलता टीवी का तोहफागांव में टीवी ना रखने की परंपरा सिर्फ यहां तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस गांव में शादी विवाह में टीवी का तोहफा भी नहीं दिया जाता है और ना ही लिया जाता है. खास बात तो यह है कि गांव के कई लोग विदेशों में रहकर अच्छे-खासे पैसे भी कमा रहे हैं. मगर आज भी यहां लोगों ने पुश्तैनी परंपरा को अपनाते हुए गांव के अंदर टीवी पर पाबंदी लगाई है.

ग्रामीणों ने बताई ये वजहगांव के सलमान खान बताते हैं कि टीवी रखना अच्छी बात नहीं है. हमारा इस्लाम हमें इजाजत नहीं देता है कि हम टीवी रखें. उन्होंने कहा कि हम सबको समाचार देखना होता है या कोई भी जानकारी लेनी होती है, तो हम मोबाइल का सहारा लेते हैं या न्यूज पेपर में खबर पढ़ लेते हैं. लेकिन टीवी का इस्तेमाल हममे से कोई नहीं करता है. उन्होंने कहा कि हम सब आज से नहीं, बल्कि वर्षों से टीवी का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं और आगे भी हम सब टीवी का इस्तेमाल कभी भी नहीं करेंगे.

गांव के एक मौलवी मोहम्मद मोबीन बताते हैं कि हम सब टीवी का इस्तेमाल वर्षों से नहीं कर रहे हैं. यहां आज की कोई नई नवेली परंपरा नहीं है, बल्कि वर्षों पुरानी परंपरा है. हमारा इस्लाम कुछ कार्यों की इजाजत नहीं देता है. जिन कार्यों की इजाजत हमें इस्लाम देता है, हम उन्हीं कार्यों को करते हैं. जिन कार्यों को हमारे इस्लाम में इजाजत नहीं दी गई है, वह काम हम नहीं करते हैं.

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