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Adani-Hindenburg मामले में SEBI की जाँच खिँचने पर लेकर Supreme Court सख्त, Congress ने फिर की JPC की माँग

Adani-Hindenburg मामले में SEBI की जाँच खिँचने पर लेकर Supreme Court सख्त, Congress ने फिर की JPC की माँग

उच्चतम न्यायालय ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी करने के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए बुधवार को 14 अगस्त तक का समय दे दिया। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेबी को गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह पर लगे शेयर मूल्यों में हेराफेरी के आरोपों की जांच पर अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। हम आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय की इस पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति पारदीवाला भी शामिल हैं। पीठ ने अडाणी मामले में न्यायमूर्ति एएम सप्रे समिति की रिपोर्ट सभी पक्षकारों के साथ साझा करने का आदेश दिया, ताकि वे इस मामले में अदालत की मदद कर सकें। यह रिपोर्ट न्यायालय को हाल ही में सौंपी गई है। सप्रे पैनल को स्थिति का पूरा आकलन करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें प्रतिभूति बाजार में हाल में आई अस्थिरता के सामयिक कारणों का पता लगाना भी शामिल था। साथ ही पैनल को वैधानिक और नियामक ढांचे को मजबूत बनाने तथा निवेशकों की रक्षा के लिए वर्तमान तंत्र के पालन के लिए उपाय सुझाने को भी कहा गया था।

अदालत में क्या हुआ?

हम आपको याद दिला दें कि उच्चतम न्यायालय ने दो मार्च को, गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी करने के आरोपों की जांच करने के लिए छह सदस्यीय समिति बनाने का आदेश दिया था। कारोबारी समूह पर यह आरोप अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में लगाए थे। उच्चतम न्यायालय अडाणी हिंडनबर्ग विवाद मामले पर 11 जुलाई को आगे की सुनवाई करेगा। पीठ ने कहा ‘‘सेबी को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए दिया गया समय 14 अगस्त 2023 तक बढ़ाया जाता है।’’ उल्लेखनीय है कि बाजार नियामक सेबी ने अडाणी समूह द्वारा शेयर के मूल्यों में हेराफेरी किए जाने के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए दिए गए समय में छह माह के विस्तार का अनुरोध किया था। सेबी की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि अगस्त तक समय बढ़ाने के अनुरोध पर पीठ को पुन:विचार करना चाहिए। इस पर सीजेआई ने कहा ‘‘आप हमें बताएं कि आपने क्या किया है, क्योंकि हमने आपको पहले ही दो माह का समय दिया था। फिर हमने आपको तीन माह का समय और दिया, जिसे मिला कर आपको पांच माह मिल गए। आप छह माह मांग रहे हैं। हम आपको पांच महीने का समय पहले ही दे चुके हैं।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मेहता से कहा ‘‘हम समय में अनिश्चितकालीन विस्तार नहीं कर रहे हैं। अगर कोई वास्तविक समस्या है, तो आप हमें बताएं।’’ इस पर, मेहता ने अनुरोध किया कि क्या जांच पूरी करने का समय सितंबर के आखिर तक बढ़ाया जा सकता है। इस पर सीजेआई ने कहा ‘‘मिस्टर सॉलिसीटर, हमारे पास दो विकल्प हैं। हम आपको अभी ही 30 सितंबर तक का समय दे सकते थे। या फिर आप 15 अगस्त तक हलफनामा दाखिल कर बताएं कि क्या स्थिति है। हमने प्रत्येक मुद्दे को नहीं देखा है, लेकिन हमने कहा है कि आप हमें जांच को लेकर एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट देंगे।’’

हम आपको यह भी बता दें कि सेबी ने 15 मई को उच्चतम न्यायालय में कहा था कि वह 2016 से अडाणी समूह की जांच नहीं कर रहा है और इस तरह के दावे को ‘‘तथ्यात्मक रूप से बेबुनियाद’’ बताया था। उसने कहा कि उसके पूर्व के हलफनामे में, 51 भारतीय कंपनियों को जारी ‘‘ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स’’ (जीडीआरएस) से संबंधित जांच का जिक्र है और उसमें अडाणी समूह की कोई भी सूचीबद्ध कंपनी नहीं है।’’

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

इस बीच, कांग्रेस ने कहा है कि इस कारोबारी समूह से जुड़ा घोटाला ‘राजनीतिक निजी साझेदारी’ का मामला है और इसकी सच्चाई सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के जरिये ही बाहर आ सकती है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘अडाणी मामले में सेबी ने 6 महीने का और समय मांगते हुए कहा था कि पूरी तरह से रिव्यू करने में 15 महीने लगेंगे। उच्चतम न्यायालय ने 3 महीने का समय दिया है। यह बार-बार याद दिलाना ज़रूरी है कि उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जो जांच चल रही है वह सिर्फ प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन तक ही सीमित है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘केवल जेपीसी ही ‘मोदानी घोटाले’ की पूरी सच्चाई को सामने ला सकती है।’’

रमेश के मुताबिक, ‘‘सरकार के हर विभाग, विशेष रूप से भारत की जांच और नियामक एजेंसियों का नष्ट होना, मोदानी के वित्तीय हितों के लिए हमारी विदेश नीति को केंद्रित किया जाना, एलआईसी, स्टेट बैंक और ईपीएफओ को फंसाना, शेयरधारकों के हितों से समझौता करना और जनता के पैसों को दांव पर लगाना, अडानी से जुड़ी ऑफशोर शेल कंपनियों से भारत में बेहिसाब पैसा भेजा जाना और देश में अडानी के अधिग्रहण को आसान बनाने के लिए नियमों और नीतियों में बदलाव, कई ऐसे विषय हैं जिनकी जांच जेपीसी ही कर सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मोदानी घोटाला एक ‘पीपीपी’ है, जिसमें एक ट्विस्ट है। यह सही मायने में ‘राजनीतिक निजी साझेदारी’ (पीपीपी) जिसके सारे राज़ सिर्फ संसद की जेपीसी ही पूरी तरह से खोल सकती है।’’

उधर, रमेश ने एक अन्य ट्वीट में दावा किया कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को शेयर बाजार में सूचीबद्ध किए जाने के बाद से इसकी बाजार पूंजी में 35 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। उन्होंने कहा, ‘‘आज से ठीक एक साल पहले शेयर बाज़ार में एलआईसी को सूचीबद्ध किया गया था। तब इसका बाजार पूंजी 5.48 लाख करोड़ रुपए था। आज यह घटकर 3.59 लाख करोड़ रुपए रह गया है यानि 35 प्रतिशत की भारी गिरावट। इस तेज़ गिरावट का एकमात्र कारण है- मोदानी। इस प्रक्रिया में लाखों लाख पॉलिसीधारकों को गंभीर नुक़सान हुआ है।’’ उधर, भारतीय जनता पार्टी के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने रमेश पर अधूरी सूचना के आधार पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने एलआईसी के प्रमुख सिद्धार्थ मोहंती के एक बयान का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘‘एलआईसी का अडाणी समूह में निवेश एक प्रतिशत से कम है। एलआईसी को अडाणी समूह के स्टॉक से करोड़ों का फायदा हुआ। पॉलिसीधारकों को कोई जोखिम नहीं है।’’

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