उद्योग जगत

Arunachal Pradesh में कई उद्यमियों ने बांस के उत्पादों में रुचि दिखाई

Arunachal Pradesh में कई उद्यमियों ने बांस के उत्पादों में रुचि दिखाई

ईटानगर। न्यापी डोनी के लिए मुर्गी और सुअर पालन इकाइयां बंद करने के बाद नया व्यापार चुनना जोखिम भरा काम था। लेकिन उनके धैर्य और दृढ़ संकल्प ने जोखिम को दूर करने का रास्ता बनाया और आज वह अरुणाचल प्रदेश में एक स्थापित बांस उद्यमी हैं। बांस उद्योग की क्षमताओं का अगर सही उपयोग किया जाए तो पूर्वोत्तर राज्य में इससे पैसा कमाया जा सकता है, क्योंकि राज्य में इस घास की 74 प्रजातियां हैं, जिसे ‘हरा सोना’ कहा जाता है। मुर्गी और सुअर पालन का व्यवसाय बंद करने के बाद 2019 में ‘अरुणाचल बंबू’ उद्योग शुरू करने वालीं डोनी अब फर्नीचल, घरेलू वस्तुओं और आभूषण समेत विभिन्न उत्पादों को बेचकर हर महीने 50,000 रुपये से ज्यादा कमाती हैं।

देश में बांस की बढ़ती मांग को देखते हुए अरुणाचल प्रदेश में कई उद्यमियों ने बांस आधारित उद्योग में भारी रुचि दिखाई है क्योंकि इसमें कम निवेश से बनने वाले उत्पादों के अच्छे दाम मिल जाते हैं। बांस का भारी मात्रा में पौधारोपण करने वालीं डोनी ने कहा, “बांस उद्योग अन्य व्यवसायों की तुलना में अधिक आरामदायक और आकर्षक है क्योंकि स्वदेशी बांस के उत्पादों के प्रति लोगों में दीवानगी है।” उन्होंने दावा किया कि उनके यहां बनने वाले फर्नीचर और घरेलू उपयोग की वस्तुओं की अत्यधिक मांग है। यहां पास में ही पोमा केन और बांस उद्योग चलाने वालीं एक अन्य महिला उद्यमी टेकी एना ने बताया कि उनका प्रयास देश के अन्य हिस्सों में राज्य के अनूठे बांस उत्पादों को लोकप्रिय बनाना है।

एना हर महीने लगभग 80,000 रुपये कमाती हैं। हालांकि, बिक्री कभी-कभी दो लाख से अधिक हो जाती है। खासकर प्रदर्शनियों में स्टॉल लगाने पर आय बढ़ जाती है। अरुणाचल प्रदेश बंबू रिसोर्स एंड डेवलपमेंट एजेंसी (एपीबीआरडीए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गंगुवा मर्टेम ने बताया कि राज्य में बांस की 74 प्रजातियां हैं, जिनमें बम्बुसा टुल्डा, डेंड्रोकैलामस एस्पर, डेंड्रोकलामस हैमिल्टनिल, सेफलोस्टैचिस पेर्ग्रेसिल, थायरोस्टैचिस ओलिवेरी की मांग सबसे ज्यादा है।

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