चंबल का जलस्तर घटने लगा, तो सामने आईं तबाही की ये दर्दनाक तस्वीरें
चंबल का जलस्तर घटने लगा, तो सामने आईं तबाही की ये दर्दनाक तस्वीरें

चंबल की लहरें अब शांत होने लगी हैं। जलस्तर लगातार घट रहा है। शनिवार सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक ठीक 1 मीटर जलस्तर गिर गया है। तो वहीं रविवार सुबह जलस्तर 127 मीटर पंहुचा, जिससे राहत तो है, लेकिन लोगों की मुसीबतें अभी कम नहीं हुई हैं। खतरे के निशान से जलस्तर नीचे पहुंचा, तो ग्रामीण क्षेत्रों से भी पानी कम होना शुरू हो गया। ऐसे में जब लोग घरों की ओर लौटे, तो बाढ़ से हुई तबाही का मंजर देख आंसू झरने लगे। किसी का आशियाना बिखरने से बेघर हो गया, तो कोई दाने-दाने को मोहताज है। बाढ़ से 20 गांव तबाह हो गए हैं।
बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही उमरेठा, गोहरा व पुरा भगवान गांव में मचाई है। उमरैठापुरा में शनिवार सुबह 10 सेकंड में मकान गिर पड़ा। सामान पानी में बह गया। उमरेठा के होशियार और राधेश्याम ने बताया कि 180 घर डूब गए हैं, जिनमें 22 गिरासू हैं। बाजरा, तिल की फसल जलमग्न है। तीन दिन से 700 से अधिक लोगों ने टीलों पर शरण ले रखी है। गोहरा के राकेश यादव और ब्रजेश ने बताया कि 150 मकान डूबे हैं। 18 क्षतिग्रस्त हैं। 140 हेक्टेयर फसलें नष्ट हो गई हैं। भगवानपुरा के हरी सिंह और मोहकम सिंह ने बताया कि 100 घर डूब गए हैं। 700 लोग टीले पर हैं।
बिजली कटी होने से प्रभावित गांव अंधेरे और पानी में डूबे हैं। बृहस्पतिवार को चंबल नदी 137.80 मीटर तक पहुंच गई थी। 20 गांवों पानी में डूब गए। लोगों को जान बचाने के लाले पड़ गए थे। शुक्रवार से जल स्तर घटने लगा है। शनिवार को यह 132 मीटर रह गया। गुढ़ा, रानीपुरा, भटपुरा, मऊ की मढै़या आदि गांवों में एसडीआरएफ टीम 103 जिंदगियां बचाने के बाद वापस लौट गई है। जल पुलिस अभी भी डेरा डाले है।
बाढ़ से बाह के 20 गांवों मऊ की मढै़या, गोहरा, रानी पुरा, भटपुरा, गुढ़ा, झरना पुरा, डगोरा, कछियारा, रेहा, उमरैठापुरा, भगवान पुरा, पुरा डाल, पुरा शिवलाल, बीच का पुरा, क्योरी, कुंवर खेड़ा, धांधू पुरा, सिमराई, जेबरा, जगतू पुरा के घर, खेत, गलियां डूबने से तहसील मुख्यालय से संपर्क कटा हुआ है। छह गांवों गोहरा, रानी पुरा, भटपुरा, गुढ़ा, झरना पुरा, भगवान पुरा में स्टीमर से लोगों को निकाला जा रहा है।
बाह। भगवानपुरा गांव के 100 घर डूब गए हैं। करीब 700 लोगों ने चंबल के टीले पर शरण ले रखी है। यहां पर पेयजल का कोई इंतजाम नहीं है। बाढ़ के पानी से प्यास बुझानी पड़ रही है। पास के ही खादर में मंजू अपनी बच्ची को नहला रही थी। पूछने पर बोली कि पानी का कोई इंतजाम नहीं है। बाढ़ के पानी में ही नहाते धोते है। इसी पानी को छानकर पी लेते हैं। सरस्वती ने बताया कि पानी कसैला है।
चंबल की बाढ़ में गोहरा गांव के 150 परिवार उजड़ गए। ग्रामीणों की आंखों में तबाही का मंजर आंसू बन कर टपक रहा है। अब तक कोई राहत न मिलने से आहत पीड़ित परिवार गुस्से में हैं। गांव की जयश्री पानी उतरने के बाद छत पर रखे सामान को दिखाकर बोली, कुछ भी नहीं बचा है। दाने-दाने को मोहताज हो गए है। शिवानी की आंखों में तबाही का मंजर बरस पड़ा। वह बोली कि बाढ़ में सब कुछ नष्ट हो गया। अब तक कोई सहारा या मदद नहीं मिली है। गांव की एक गली में मौजूद लोग अखबारवालों को ही प्रशासन का अमला समझ बैठे, कुछ भी बोलने से पहले बरस पडे़। कोई मदद नहीं, सब दिखावा है। कोई बाढ़ की तबाही के जख्म पर मरहम लगाने को अब तक झांका नहीं है। ब्रजेश, उमाशंकर, द्रोपदी, पुष्पा, भूरी देवी ने बताया कि राशन तक नहीं मिला है।