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दुनिया के 5G नेटवर्क पर चीन का होगा कब्ज़ा! इस जंग में भारत कहां खड़ा है?

दुनिया के 5G नेटवर्क पर चीन का होगा कब्ज़ा! इस जंग में भारत कहां खड़ा है?

एक बार एक आदमी और एक मेंढक एक नाव में सवारी कर रहे थे। जब नाव बीच समुद्र में था तो मेंढक खूब उछल-कूद मचाने लगा। जिससे तंग आकर नाविक ने उसे पानी में फेंक दिया। पानी में फेंके जाने के बाद वो बड़ा खुश हो गया। नाव में सवार आदमी को ये बड़ा एडवेंचर्स लगा और ये देख आदमी भी नाव में जोर-जोर से कूदने लगा। उसके ऐसा करने में नाव डोलने लगी और नाविक ने उसे भी पानी में धक्का दे दिया। तैरना नहीं जानने वाले आदमी ने पानी में गिरते ही बोला ये क्या करा दिया? जिसके जवाब में मेंढक ने बोला कि तुमने ऐसा कियों किया मुझे तो पानी में ही रहना पसंद है और तैरना भी आता है, इसलिए मैं तो खुश हूं। कुल मिलाकर देखा जाए तो इससे सीख यही मिलती है कि इंसान को दूसरों की देखा-देखी शेखी नहीं बघारनी चाहिए वो भी तब जब कि उसके पास कोई ऐसा गुण या एसेट न हो।5जी तकनीक हाई स्पीड इंटरनेट सर्विस का वादा करती है और इसकी मदद से यूजर किसी फिल्म को महज कुछ सेकेंड में डाउनलोड कर लेते हैं। दुनिया के कई हिस्सों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। 5जी को लेकर चीनी कंपनियां पूरी तरह से कमर कस चुकी हैं। चीन ने अपनी मंशा साफ करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और 5जी जैसे क्षेत्रों के लिए चाइना स्टैंडर्ड 2035 की रणनीति तैयार कर रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन और नेटवर्क उपकरण बनाने वाली कंपनी हुवावे जिसे बीते वर्ष अमेरिका द्वारा प्रौद्योगिकी इस्तेमाल पर रोक लगाई गई लेकिन इन सब के बावजूद चीनी कंपनी हुवावे ने सबसे अधिक 5जी पेटेंट्स के लिए आवेदन किया है। इन पेटेंट्स के जरिये ही चीन अमेरिकी कंपनियों के साथ ही दुनिया भर से रॉयल्टी वसूलेगा। चीन ने 2023 के अंत तक देश की 10 अहम इंडस्ट्री में 5जी की कम से कम 30 फैक्ट्री लगाने का प्लान बनाया है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बयान के मुताबिक देश के लिए अगले तीन साल काफी महत्वपूर्ण है। इस दौरान चीन में इंडस्ट्रियल इंटरनेट की ग्रोथ काफी तेज होगी। इससे इंटेलिजेंट मैन्युफैक्चरिंग, नेटवर्क आधारित साझीदारी और पर्सनलाइज्ड कस्टमाइजेशन में तेजी आएगी।

हुवाई- 3147

सैमसंगज- 2795

जेटीई- 2561

एलजी- 2300

नोकिया- 2149

एरिकश्न- 1494

क्वालकॉम- 1293

इंटेल- 870एक शब्द है इंडस्ट्री का स्टैंडर्ड, इसे अगर यूएसबी डिवाइस से समझने की कोशिश करे तो आसानी होगी। बाजार में कई तरह के डिवाइस होने के बावजूद डाटा ट्रांसफर के लिए यूएसबी रीडर का इस्तेमाल ज्यादातर होता है। जिसके पीछे की वजह है इंडस्ट्री का स्टैंडर्ड बन जाना। पीएस-2, गेम पोर्ट फायरवायर, एससीएसआई, सीरियल पोर्ट जैसे विभिन्न तरह के कनेक्टरों का इस्तेमाल पहले डिवाइस में होता था। यूएसबी को सबसे पहले साल 1996 में लांच किया गया था और इसे बनाने की शुरुआत सात कंपनियों ने एक साथ मिलकर की थी जिसमें इंटल, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, कॉपैक, डेक, नार्टल, और नेक शामिल थी। 1996 में यूएसबी आने के बाद ऐपल ने आईमैक में इसे प्रयोग किया तो इसे काफी लोकप्रियता मिली। आसानी से प्रयोग और स्वीकार्यता की वजह से आज यह यूनिवर्सल कनेक्टर बन गया है।अमेरिका की ओर से जहां स्टैंडर्ड सेट करने की अप्रोच डिसेंट्रलाइज्ड और मार्केट से तय होती है वहीं चीन इसके लिए टोस प्रयास कर रहा है। इसमें अपनी कंपनियों का सपोर्ट करना शामिल है। धीरे-धीरे स्टैंडर्ड एजेंसीज पर पश्चिमी देशों का दबदबा कम होता जा रहा है। मौजूदा दौर में कम से कम चार इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख के रूप में चीनी अधिकारी हैं। 2003 और 2004 में डब्ल्यूएपीआई से वाईफाई को चुनौती देने में अमेर्की और यूरोपीय देशों से मात खाने के बाद चीन अब और सक्रिय होकर काम कर रहा है।चीन और अमेरिका के बीच की टेक्नलॉजी वॉर में दुनिया का दो खेमों में बंटना तय है। ऐसा होने के बाद भारत अपने बाजार के आकार के हिसाब से इस टेक वॉर में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। भारत की तरफ से पश्चिमी कंपनियों को मह्तवपूर्ण आईटी से जुड़ी सेवा उपलब्ध करवाया जाता है। भारत में भी जल्द 5जी सर्विस शुरू करने को लेकर टेलिकॉम ऑपरेटर्स के साथ केंद्र सरकार भी कोशिश में लगी है और इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप हो रहे हैं। एयरटेल ने 5जी की टेस्टिंग कर ली है और जल्द ही रिलायंस जियो भी 5जी की टेस्टिंग करने वाली है। हालांकि सरकार की ओर से अभी स्पेट्ट्रम को लेकर नीलामी शुरू नहीं की गई है। 2007 में 4जी लॉच होने के बाद भारत नें इसे लॉच करने में आठ साल लग गए थे। -अभिनय आकाश

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