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सावन साग न भादो दही…भाद्रपद मास में खानपान का विशेष ध्यान रखें, सोच-समझकर कोई भी फल-सब्जी खाएं

सावन साग न भादो दही...भाद्रपद मास में खानपान का विशेष ध्यान रखें, सोच-समझकर कोई भी फल-सब्जी खाएं

सावन साग न भादो दही… की लोकोक्ति तो आपने कभी न कभी सुनी ही होगी। नहीं सुनी है तो जान लीजिए। हमारे पुरखों ने हर माह में खानपान का तरीका भी बता दिया था, ताकि हम हमेशा स्वस्थ व तंदुरुस्त रह सकें। बरसात के इस मौसम में क्या खाना चाहिए, क्या नहीं

सावन व भादो या भाद्रपद मास में खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आषाढ़ के बाद ये दोनों महीने भी बरसात के मौसम होते हैं। इस मौसम में जठराग्नि (पाचन शक्ति) कमजोर व मंद हो जाती है। इसलिए वात पित्त व कफ से संबंधित रोग बढ़ जाते हैं। वर्षा ऋतु में जलवायु में विषाक्त या विषैले कीटाणु पैदा हो जाते है, जो बीमारियां फैलाते हैं। ये कीटाणु खेत में लगे फल व सब्जियों को भी अपना घर बना लेते हैं। हालांकि दूध-दही खेत में नहीं होते, लेकिन वातावरण में व्याप्त कीटाणु का असर इन पर भी खूब होता है, इसलिए दूध-दही का यथासंभव सेवन करने से बचें या न खाएं। आइए जानते हैं कि इस महीने में क्या पथ्य है, क्या अपथ्य।

इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए

दूध ना पीएं।

– हरी पते वाली सब्जियां न खाएं।

– रसदार फल न खाएं।

– बैंगन न खाएं, क्योंकि इसमें कीड़े हो जाते हैं और पेट में गैस भी बनाते हैं।

– चकुंदर, खीरा, ककड़ी न खाएं।

– फास्ट फूड न खाएं।

– ज्यादा मिठाई न खाएं।

– मांस-मदिरा न लें।

– ठंडी व बासी चीज न खायं।

– आइसक्रीम व कोल्ड ड्रिंक्स न पीएं।

इन चीजों का करें सेवन

आयुर्वेद के अनुसार इस महीने में जल्दी पचने वाले ताजा व गर्म भोजन करना चाहिए।

– सेब, केला, अनार, नासपाती आदि मौसमी फल खाएं।

– टमाटर का सूप ले सकते हैं।

– अदरक, प्याज, लहसुन खाएं।

– बेसन की चीजें व हलवा खाएं।

– पानी उबाल कर पीएं।

– हल्दी वाला दूध पीएं।

– देसी चाय या काढ़ा पीएं।

– पुराना चावल, गेहूं, मक्का, सरसों, मूंग, अरहर की दाल खाएं।

– छोटी हरड़ खाएं, पेट साफ़ रहेगा व पेट की बीमारियों से बचाव रहेगा।

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