राष्ट्रीय

आप भी करने जा रहे हैं लव मैरिज, तो पहले पढ़ लें Supreme Court की ये टिप्पणी, कहीं बाद में पछताना ना पड़े

आप भी करने जा रहे हैं लव मैरिज, तो पहले पढ़ लें Supreme Court की ये टिप्पणी, कहीं बाद में पछताना ना पड़े

भारत में आज के समय में लव मैरिज करना काफी आम हो गया है। खासतौर से शहरी इलाकों में लव मैरिज का चलन अधिक बढ़ गया है और अरेंज मैरिज काफी कम हो गई है। कई बार युवा अपने परिवार के विरोध में जाकर भी लव मैरिज करते हैं तो कई मामलों में परिवार की मर्जी से प्रेम विवाह होते है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने लव मैरिज को लेकर ऐसी टिप्पणी की है जो काफी रोचक है। वहीं जो लोग आने वाले समय में लव मैरिज करने का प्लान कर रहे हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर जरुर ध्यान देना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि इन दिनों तलाक के अधिकतक मामले लव मैरिज करने वाले कपल्स के बीच में आ रहे है। वहीं तलाक के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता भी व्यक्त की है। ऐसे ही एक मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय कौल की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने ये टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट की ये बेंच एक मुकदमें की ट्रांसफर पिटिशन पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान वकील ने जानकारी दी कि ये मामला लव मैरिज का है।

इस मामले पर जस्टिस गवई ने कहा कि अधिकांश तलाक के मामले लव मैरिज में देखने को मिल रहे है। इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुझाव दिया की दोनों पक्षों को मामला सुलझाना चाहिए हालांकि इसका पति ने विरोध कर दिया। मगर बेंच ने पति के विरोध के बाद भी मध्यस्थता के जरिए ही मामले को सुलझाने के लिए कहा है। कोर्ट का कहना है कि दोनों पक्षों को बातचीत कर आपस में इस मामले का निपटारा करना चाहिए। अगर दोनों के बीच कोई हल नहीं निकलता है तो ही कोर्ट इस मामले में दखल देगी।

तलाक को लेकर आई थी टिप्पणी

बता दें कि कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने एक और टिप्पणी भी की थी। हाल ही में शादी पर ये सुप्रीम कोर्ट की दूसरी टिप्पणी है। इस महीने की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने एक फैसले में कहा था कि अगर पति पत्नी का रिश्ता इतना खत्म हो चुका है कि उसमें रिश्ते को जीवन देने की कोई गुंजाइश नहीं बची है तो ऐसे मामले में दोनों का अलग होना ज्यादा बेहतर है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत दिए गए विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर तलाक दिए जाने की मंजूरी दी थी। बता दें कि कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि ऐसे खास मामलों में छह महीने का अतिरिक्त समय भी नहीं दिया जा सकता है।

बता दें कि ये फैसला जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, एएस ओका, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी की बेंच ने दिया था। शादी को लेकर आई सुनवाई में बेंच ने कहा था कि अगर पति पत्नी के संबंधों में दोबारा जीवित होने की कोई गुंजाइश ना हो और संबंधों को दोबारा नया जीवन देना संभव ना हो तो ऐसे मामले में कोर्ट तत्काल दखल देकर तलाक दे सकता है। इसके लिए कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकारों के जरिए मामले में दखल दे सकता है।

IMG-20250402-WA0032

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!