कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जोखिमों को लेकर सजग रहने की जरूरतः NITI Aayog member
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जोखिमों को लेकर सजग रहने की जरूरतः NITI Aayog member

नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के विकास में सतर्कता बरतने का शुक्रवार को अनुरोध करते हुए कहा कि मशहूर भौतिकविद स्टीफन हॉकिंग पूर्ण कृत्रिम बुद्धिमत्ता के मानव जाति के अंत का सबब बनने की आशंका पहले ही जता दी थी। सारस्वत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए इसके लाभ होने के साथ इसके विकास से जुड़े कुछ नियंत्रण एवं संतुलन स्थापित करने की भी जरूरत है।
उन्होंने कहा, हमें स्टीफन हॉकिंग की बात भूलनी नहीं चाहिए। पूर्ण कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास आगे चलकर मानव जाति के अंत का भी सबब बन सकता है। इंसान एक बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकसित करता है और फिर वह बड़ी तेजी से खुद ही अपने-आप को नए सिरे से डिजाइन करने लगती है। नीति आयोग सदस्य ने कहा, ऐसी स्थिति में जैविक विकास के क्रम में धीमी रफ्तार वाले इंसान उसका मुकाबला नहीं कर पाएंगे और उनकी जगह छीन ली जाएगी।
हमें उस स्थिति के खिलाफ अभी ही अपना बचाव करना है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के वर्ष 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में एक लाख करोड़ डॉलर का योगदान देने की संभावना है लेकिन इसी के साथ समाज पर भी इसका काफी असर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि संभावित असर से जुड़े जोखिमों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। इससे बचने के उपाय करने होंगे।