Assam के लखीमपुर में दूसरे दिन अतिक्रमण रोधी अभियान में सैकड़ों लोग बेघर हुए
Assam के लखीमपुर में दूसरे दिन अतिक्रमण रोधी अभियान में सैकड़ों लोग बेघर हुए

असम के लखीमपुर जिले में एक वन्य भूमि पर बसे लोगों को हटाने का अभियान बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। यहां 250 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रहने वाले 299 परिवारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां रहने वाले लोगों में अधिकतर बांग्लाभाषी मुस्लिम हैं जिनमें से कुछ ने इस बात पर अप्रसन्नता जताई कि वे अपना सामान भी नहीं ले जा सके। वहीं, कुछ अन्य ने दावा किया कि अभियान के दौरान उनकी फसल बर्बाद हो गयी।
राज्य सरकार ने पावा रिजर्व वन क्षेत्र में करीब 450 हेक्टेयर क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए मंगलवार को अभियान शुरू किया। पहले दिन अधिकारियों ने मोहघुली गांव में 200 हेक्टेयर जमीन को खाली कराया जहां 201 परिवार रह रहे थे। जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘लोगों को क्षेत्र से निकालने का अभियान आज सुबह 7:30 बजे फिर शुरू हुआ था। यह शांतिपूर्ण तरीके से पूरा हो गया। हमें किसी तरह के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा।’’
प्रशासन ने बुधवार को बाकी 250 एकड़ जमीन को अतिक्रमण मुक्त करा दिया। अधिकारी ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के अभियान में करीब 70 बुलडोजर, ट्रैक्टर आदि को लगाया गया, वहीं पुलिस तथा सीआरपीएफ के 600 जवान प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मौके पर तैनात रहे। इलाके से बेदखल किये जा रहे एक व्यक्ति ने दावा किया कि वह पिछले 28 साल से यहां रह रहा था।
उसने कहा, ‘‘इस साल, फसल बहुत अच्छी थी। मैंने बैंगन, बंदगोभी और फूलगोभी की खेती की थी और कुछ को बाजार में बेच दिया। हालांकि, करीब 70 प्रतिशत फसल अभियान में बर्बाद हो गयी। कुछ पीड़ितों का दावा है कि वन जंगल में करीब 500 हिंदू परिवार भी रहते हैं, और ‘‘अगर सरकार वास्तव में अतिक्रमण को लेकर चिंतित है तो उन्हें भी हटाया जाना चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार हिंदू परिवारों ने 2016 में गौहाटी उच्च न्यायालय से संपर्क कर पुनर्वास का अनुरोध किया था। इनमें अधिकतर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से थे।
अधिकारी ने बताया कि अदालत ने वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उन्हें वहां से हटाने पर रोक लगा दी थी। वन्य भूमि में भाजपा विधायक अमिय कुमार भुइयां की अगुवाई वाली सहकारी समिति ‘बीर लाचित बहुमुखी समाबाई समिति’ भी है जो 450 बीघा से अधिक भूमि पर सरसों की खेती कर रही है। बिहपुरिया के विधायक भुइयां से संपर्क नहीं हो सका लेकिन समिति से जुड़े कुछ युवाओं ने दावा किया कि विधायक ने उनसे वादा किया था कि प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करेगा लेकिन उनकी फसल भी बर्बाद हो गयी।
‘द ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन’ (एएएमएसयू) ने लोगों को जमीन से बेदखल किये जाने के अभियान को ‘अमानवीय और एकपक्षीय’ बताते हुए लखीमपुर जिले के सोमनापुर में कुछ देर तक प्रदर्शन किया। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इलाके में रहने वाले लोगों को जगह खाली करने के लिए नवंबर 2021 से अनेक नोटिस जारी किये जा चुके हैं। इलाके का दौरा करने वाले स्थानीय कांग्रेस विधायक भरत चंद्र नारा को नाराज प्रदर्शनकारियों का सामना करना पड़ा। विधायक तत्काल मौके से लौट गये।
असम की हिमंत विश्व शर्मा सरकार मई 2021 में सत्ता में आने के बाद से राज्य के विभिन्न हिस्सों में अतिक्रमण हटाने का अभियान चला रही है। लोकसभा सदस्य बदरुद्दीन अजमल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया है कि राज्य सरकार को अतिक्रमण रोधी अभियान को रोकने का निर्देश दें। उन्होंने आरोप लगाया कि अभियान भेदभाव वाला है जिसमें एक समुदाय विशेष के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
एआईयूडीएफ सांसद ने मोदी और शाह को लिखे पत्र में कहा कि असम सरकारकड़ाके की इस ठंड में लोगों को बेदखल करने का अभियान चला रही है जिससे हजारों लोग बेघर हो रहे हैं और मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिना किसी पुनर्वास योजना के, यह अभियान चलाया जा रहा है। अजमल ने यह भी कहा कि एआईयूडीएफ सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण के पक्ष में नहीं है और उसे अवैध अतिक्रमणकारियों को बेदखल किये जाने से भी कोई शिकायत नहीं है, चाहे वे कोई भी हों। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि असम में बाढ़ और भूमि कटाव से हजारों लोग हर साल बेघर और भूमिहीन हो जाते हैं। वे सरकारी जमीन पर शरण लेते हैं क्योंकि अन्य कोई विकल्प नहीं है।