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चीन और जापान खरीद सकता है तो भारत क्यों नहीं? रूस को लेकर भारतीय पेट्रोलियम मंत्री ने CNN जर्नलिस्ट को सुनाई दो टूक

चीन और जापान खरीद सकता है तो भारत क्यों नहीं? रूस को लेकर भारतीय पेट्रोलियम मंत्री ने CNN जर्नलिस्ट को सुनाई दो टूक

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि ये हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम अपने 130 करोड़ नागरिकों को पेट्रोल, डीजल और गैस की सप्लाई करें। भारत के केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक साक्षात्कार में सीएनएन को यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध के बीच रूस से तेल खरीदने के लिए देश को अपराधबोध में फंसाने की कोशिश करने को लेकर आड़े हाथों लिया। हरदीप पुरी ने साफ किया कि रूस से तेल खरीदने को लेकर किसी भी प्रकार का कोई नैतिक द्वंद्व नहीं है। सीएनएन पत्रकार बेकी एंडरसन ने भारत पर रूस से रियायती तेल आयात से लाभान्वित होने और यूक्रेन पर आक्रमण के बारे में कोई चिंता नहीं होने का आरोप लगाया। भारत के तेल आयात के बारे में विषम और त्रुटिपूर्ण दृष्टिकोण ने हरदीप एस पुरी को नाराज़ किया।

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हरदीप सिंह पुरी ने कहा पिछले वित्तीय वर्ष में रूसी तेल की खरीद 0.2% थी। यूरोप एक दोपहर में वही खरीदता है जो हम रूस से एक तिमाही में खरीदते हैं। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस साल सितंबर के महीने में भारत को तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता इराक था। “हम अपने उपभोक्ताओं के प्रति अपना नैतिक कर्तव्य निभाते हैं। हमारी आबादी 1.34 अरब है और हमें यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें ऊर्जा (चाहे वह पेट्रोल हो या डीजल) की आपूर्ति की जाती है।

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पुरी ने आगे कहा, “सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने राजस्व को कम किया कि पेट्रोल की कीमतें न बढ़ें … हमारे पास 60 मिलियन लोग पेट्रोल पंपों पर जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने रूसी तेल खरीदने के भारत के फैसले के बारे में ‘नैतिक संघर्ष’ की खबरों को खारिज कर दिया। “हम एक्स या वाई से नहीं खरीदते हैं। हम जो कुछ भी उपलब्ध है उसे खरीदते हैं। मैं खरीदारी नहीं करता। यह तेल कंपनियां हैं जो करती हैं … सरकार खरीद नहीं करती है। तेल व्यापार आर्थिक संस्थाओं द्वारा संचालित किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब हंगरी, चीन और जापान तथाकथित आर्थिक प्रतिबंध के बाद भी तेल खरीद सकते हैं तो भारत क्यों नहीं?

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