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राज्यपाल पद की प्रतिष्ठा कम करने की कोशिश की तो हो सकते हैं ‘बर्खास्त’! आरिफ मोहम्मद खान ने मंत्रियों को चेताया

राज्यपाल पद की प्रतिष्ठा कम करने की कोशिश की तो हो सकते हैं 'बर्खास्त'! आरिफ मोहम्मद खान ने मंत्रियों को चेताया

तिरूवनंतपुरम। केरल में राज्यपाल और सरकार के बीच जमकर वार पलटवार का दौर देखने को मिल रहा है। सत्तारूढ़ एलडीएफ गठबंधन और राजभवन के जो टकराव है। वह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इन सब के बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सख्त लहजे में चेतावनी भी दे दी है। उनकी यह चेतावनी राज्य सरकार के मंत्रियों के दिए हैं जो लगातार राज्यपाल के खिलाफ प्रतिक्रिया देते रहते हैं। उनके कार्यालय ने ट्वीट कर लिका कि माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है: मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को राज्यपाल को सलाह देने का पूरा अधिकार है। लेकिन मंत्रियों के ऐसे निजी बयान जिनसे राज्यपाल पद की प्रतिष्ठा कम होती है, पर उन्हें हटाए जाने सहित कार्रवाई की जा सकती है।

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सीपीआई(एम) का पलटवार

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की चेतावनी पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो ने पलटवार किया। पोलित ब्यूरो ने कहा कि ऐसी “तानाशाही शक्तियां” संविधान द्वारा राज्यपाल के पास निहित नहीं है। सीपीआई (एम) के केंद्रीय नेतृत्व ने कहा कि बयान ने खान के “राजनीतिक पूर्वाग्रह” और एलडीएफ सरकार के लिए “शत्रुता” को “उजागर” कर दिया है। पार्टी ने इस मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्तक्षेप की भी मांग की। माकपा पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा, भारत के राष्ट्रपति को केरल के राज्यपाल को इस तरह के संविधान विरोधी और लोकतंत्र विरोधी बयान देने से रोकने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।

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आपको बता दें कि केरल विधानसभा द्वारा पारित लोकायुक्त विधेयक और विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयकों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्ति आदि मुद्दों को लेकर खान और सत्तारूढ़ वाम मोर्चा आमने-सामने हैं। कई वामपंथी मंत्रियों का कहना है कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सिफारिश के अनुसार कदम उठाने के लिए बाध्य हैं और किसी विधेयक पर हस्ताक्षर किए या उसे वापस भेजे बिना अनिश्चितकाल तक उसे लटका कर नहीं रख सकते। कुछ वाम नेताओं और मंत्रियों ने आरोप लगाया है कि खान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के इशारे पर राज्य में संवैधानिक संकट पैदा कर रहे हैं और केरल में आरएसएस की नीतियों को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं।

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