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बीआईएफ का कहना है कि ट्राई के अधिकारों में कटौती का प्रस्ताव एक प्रतिगामी कदम है

बीआईएफ का कहना है कि ट्राई के अधिकारों में कटौती का प्रस्ताव एक प्रतिगामी कदम है


दूरसंचार नियामक ट्राई के गठन से संबंधित दूरसंचार अधिनियम में बदलाव करने का सरकार का प्रस्ताव पीछे की तरफ ले जाने वाला कदम साबित हो सकता है। ब्रॉडबैंड परिवेश के विकास के लिये काम करने वाला मंच ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम ने शुक्रवार को यह आशंका जताई। सरकार ने ट्राई संशोधन अधिनियम के मसौदे में उन प्रावधानों को हटाने का प्रस्ताव रखा है जिनमें नियामक को दूरसंचार सेवाओं एवं उसके लाइसेंस के बारे में सरकार को सुझाव देने का अधिकार मिला हुआ है।

इस अधिनियम की धारा 11 के तहत ट्राई दूरसंचार लाइसेंस एवं सेवाओं के बारे में सरकार को सुझाव दे सकता है। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्राई संशोधन विधेयक के मसौदे को पेश करते हुए कहा था कि इसके जरिये लाइसेंस प्रणाली से जुड़ी स्पष्टता और सरलता लाने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा था कि मौजूदा समय में कई नियम एवं शर्तें काफी जटिल हैं और नई सेवा शुरू करने के लिए भी नियामक की मंजूरी जरूरी होती है।

इस संदर्भ में ब्रॉडबैंक इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने कहा है कि ट्राई के अधिकारों में कटौती करने से इस नियामक के पास बहुत सीमित भूमिका एवं शक्तियां ही रह जाएंगी। यह एक तटस्थ एवं स्वतंत्र दृष्टिकोण रखने वाले नियामक के लिए अच्छी स्थिति नहीं होगी। बीआईएफ के अध्यक्ष टी वी रामचंद्रन ने एक बयान में कहा कि भारतीय दूरसंचार मसौदा विधेयक 2022 के कुछ प्रावधान दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से देश में व्यापक डिजिटल परिवेश के विकास की राह में रोड़े की ही तरह नजर आते हैं।

अमेजन, गूगल, मेटा, इंडस टॉवर्स जैसी दिग्गज कंपनियां इस संगठन की सदस्य हैं। रामचंद्रन ने कहा, ऐसा लगता है कि ये प्रावधान ट्राई अधिनियम की धारा 11(1) के तहत नियामक को मिली शक्तियों में कटौती कर हमें 1997 से पहले के दौर में ले जाएंगे। इससे निवेशकों का भरोसा प्रभावित होगा और नियामकीय प्राधिकरण की स्वतंत्रता भी कमतर होगी।

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