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निर्वाचन आयोग ने सोरेन के भाई की विधायक के तौर पर अयोग्यता मामले में राज्यपाल को भेजी राय

निर्वाचन आयोग ने सोरेन के भाई की विधायक के तौर पर अयोग्यता मामले में राज्यपाल को भेजी राय


निर्वाचन आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई और दुमका के विधायक बसंत सोरेन को लाभ के पद के मामले में विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने पर राज्यपाल रमेश बैस को अपनी राय भेज दी है। निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। आयोग की राय ऐसे समय भेजी गई है, जब मुख्यमंत्री खुद भी इसी वजह से विधायक के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के खतरे का सामना कर रहे हैं। निर्वाचन आयोग के अधिकारी ने नयी दिल्ली में कहा, ‘‘बसंत सोरेन पर राय शुक्रवार को झारखंड के राज्यपाल को भेज दी गई है। भेजे गए पत्र की सामग्री ज्ञात नहीं है।’’

रांची में राजभवन के एक सूत्र ने भी शनिवार को पुष्टि की कि राज्यपाल को बसंत सोरेन से संबंधित एक सिफारिश प्राप्त हुई है। हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए और खान विभाग की जिम्मेदारी संभालने के दौरान कथित तौर पर अपने नाम पर पत्थर खनन के पट्टे हासिल किए। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री के भाई पर एक खनन कंपनी के साथ अपने संबंध की जानकारी छिपाने का आरोप है, जिसमें वह एक निदेशक हैं। दोनों मामलों में शिकायतकर्ता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत सोरेन बंधुओं को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की मांग की है।

हेमंत सोरेन के विधायक बने रहने को लेकर अटकलों के बीच बैस 2 सितंबर को दिल्ली गए और 8 सितंबर को रांची लौट आए। दिल्ली जाने से एक दिन पहले एक बैठक में राज्यपाल ने सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के विधायकों को आश्वासन दिया था कि वह जल्द मुख्यमंत्री के बारे में सभी आशंकाओं को दूर करेंगे। झारखंड में राजनीतिक संकट पिछले महीने के अंत में शुरू हुआ था। लाभ के पद के मामले में हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की भाजपा की याचिका के बाद निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेजा।

निर्वाचन आयोग के फैसले को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन चर्चा है कि आयोग ने विधायक के रूप में मुख्यमंत्री सोरेन की अयोग्यता की सिफारिश की है। राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल दलों ने 28 अगस्त को एक संयुक्त बयान में बैस पर निर्णय की घोषणा में ‘‘जानबूझकर देरी’’ करके राजनीतिक ‘खरीद-फरोख्त’ को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया था। राज्य में झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक विधायक हैं। मुख्य विपक्षी दल भाजपा के सदन में 26 विधायक हैं।

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