China Taiwan Tension Live: मिसाइल दागने के बाद चीन ने उड़ाए 100 फाइटर जेट, ताइवान से बढ़ी और तनातनी
China Taiwan Tension Live: मिसाइल दागने के बाद चीन ने उड़ाए 100 फाइटर जेट, ताइवान से बढ़ी और तनातनी

अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से भड़का चीन, आक्रामक होता जा रहा है। उसने गुरुवार को ताइवान की घेराबंदी के लिए युद्धभ्यास शुरू किया। इसके बाद खबर आई कि चीन ने पांच मिसाइलें दागीं, जो जापान के इईजेड में जाकर गिरीं। इसका जापान ने कड़ा विरोध जताया है। वहीं चीन के 22 विमानों ने एक बार फिर ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया। इन सबके बीच नैंसी पेलोसी जापान की राजधानी टोक्यो पहुंच गईं।
चीन और ताइवान के बीच तनातनी बढ़ती नजर आ रही है। गुरुवार को मिसाइल दागने के बाद अब खबर है कि चीन ने ताइवान की सीमा पर 100 फाइटर जेट उड़ाए। हालांकि, ताइवान ने भी पीछे हटने से इंकार कर दिया। इससे पहले खबर आई थी कि 22 चीनी विमान ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में भी घुस गए थे।
चीन को लेकर ताइवान का क्या होगा अगला कदम?
पूरी दुनिया में इस वक्त चर्चा इस बात की हो रही है कि अमेरिकी सांसद नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन की नाराजगी कहां तक जाएगी। दुनिया के देशों में डर इस बात का बना हुआ है कि नैंसी पेलोसी की इस यात्रा के बाद कहीं चीन जल्द ही ताइवान पर हमला न कर दे। वहीं, पूरी दुनिया जब इस उधेड़बुन में फंसी हुई है कि ताइवान को लेकर चीन का अगला कदम क्या होने वाला है। तब तिब्बत ने अमेरिकी सांसद से मुलाकात कर न सिर्फ बड़ा संदेश दिया है बल्कि तिब्बत की आजादी का बड़ा माहौल भी बना लिया है।
सूत्रों के मुताबिक, जब नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ। तभी ताइवान की राजधानी में तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि केलसांग ग्यालेसेन बाबा ने नैंसी पेलोसी से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात के दौरान तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि से नैंसी पेलोसी ने धर्मगुरु दलाई लामा की सेहत के बारे में पूछा। तिब्बत के प्रतिनिधि केलसांग ने धर्मगुरु दलाई लामा की सेहत के बारे में विस्तार से पेलोसी से चर्चा की।
सूत्रों के मुताबिक, इस पूरी मुलाकात के दौरान तिब्बत के प्रतिनिधि ने अमेरिकी प्रतिनिधि के सामने तिब्बत के बुरे हालातों के बारे में पूरी जानकारी दी। इसके अलावा चीन की ओर से तिब्बत में हो रहे अत्याचार के बारे में भी विस्तार से बताया। इस मुलाकात के दौरान नैंसी पेलोसी ने तिब्बत के प्रतिनिधि को भरोसा दिलाया कि अमेरिकी सरकार तिब्बत के लोगों के साथ शुरुआत से खड़ी है। ताइवान में तिब्बत कार्यालय से ताल्लुक रखने वाले सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी सांसद नैंसी पेलोसी ने उनको भरोसा दिलाया कि वह ताइवान में हुई तिब्बत के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता और उनकी समस्याओं को अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने भी रखेंगी।
सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी सांसद के साथ तिब्बत के प्रतिनिधियों की हुई वार्ता में उनकी समस्याओं को दूर करने के बारे में न सिर्फ चर्चा हुई, बल्कि शांतिपूर्वक चलाए जा रहे आंदोलनों की प्रशंसा भी नैंसी पेलोसी ने की। तिब्बत की ओर से चलाए जा रहे शांतिपूर्वक आंदोलनों में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों का मानना है कि वह लगातार चीन की ओर से किए जाने वाले तिब्बत और वहां के लोगों के प्रति गलत व्यवहार की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाते रहे हैं।
दूसरी ओर ताइवान में तिब्बत के प्रतिनिधियों की अमेरिकी सांसद नैंसी पेलोसी से मुलाकात के दौरान चीन ने तिब्बती कम्युनिटी की ओर से बनाए जाने वाले एक बड़े फेस्टिवल को मंजूरी दे दी। सूत्रों का कहना है कि चीन ने तकरीबन 20 साल से तिब्बत के इलाके में मनाए जाने वाले इस बड़े फेस्टिवल को प्रतिबंधित कर दिया था। इस आयोजन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हर साल मनाए जाने वाले इस आयोजन में तिब्बत के हजारों लोग पहुंचते थे, लेकिन आखिरी बार या आयोजन जुलाई 2002 में हुआ था। उसके बाद चीन सरकार ने इस आयोजन पर पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि इस बार चीन सरकार की ओर से तिब्बतियों के बड़े फेस्टिवल को मनाने की अनुमति दी गई है। तिब्बत से जुड़े लोगों का कहना है कि चीन की घुसपैठ से पहले यह आयोजन बहुत धूमधाम से मनाया जाता था। बाद में इसकी चमक चीनी सेना और वहां की सरकार ने कम कर दी।
विदेशी मामलों के जानकार और दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर अभिषेक कहते हैं कि निश्चित तौर पर ताइवान में अमेरिकी सांसद नैंसी कॉलोनी का दौरा चीन को चुभने वाला ही है। अभिषेक कहते हैं कि दरअसल चीन ताइवान की मजबूत अर्थव्यवस्था खासतौर से तकनीकी मामलों में उसकी दक्षता पर अपना कब्जा चाहता है। यही वजह है कि वह लगातार ताइवान को न सिर्फ धमकियां देता रहता है, बल्कि वहां पर अपनी सेना को एक्टिव करके तमाम तरीके से डराने के लिए प्रयास करता रहता है।
अभिषेक कहते हैं कि कोरोना काल के दौरान जिस तरीके से ताइवान ने पूरी दुनिया में तकनीकी के सहारे महामारी से लड़ने में मदद की। विदेशी मामलों के जानकार लेफ्टिनेंट कर्नल आरूष चक्रवर्ती बताते हैं कि चीन मानसिक तौर पर तो इस बात से पहले से ही तैयार था कि अमेरिका ताइवान के साथ खड़ा हुआ है, लेकिन अचानक अमेरिकी प्रतिनिधि की इस यात्रा से चीन बौखला गया है। यही वजह है कि चीन ने ताइवान के इलाके में अपनी सेना की घुसपैठ की कवायद शुरू कर दी है।