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आपसी खींचतान से जूझती कांग्रेस, बीजेपी के सामने सत्ता बचाने की चुनौतियों के बीच AAP फैक्टर का उत्तराखंड में कितना असर?

आपसी खींचतान से जूझती कांग्रेस, बीजेपी के सामने सत्ता बचाने की चुनौतियों के बीच AAP फैक्टर का उत्तराखंड में कितना असर?


उत्तराखंड की जनता आज अपना नया प्रधान चुनने के लिए वोटिंग कर रही है। राज्य की सभी 70 सीटों के लिए मतदान हो रहा है। 21 साल के उत्तराखंड में ये पांचवा विधानसभा चुनाव है। प्रदेश के 82 लाख 37 हजार मतदाता नेताओं की किस्मत का फैसला कर रहे हैं। पहाड़ों पर इस बार कई दिग्गजों की साख भी दांव पर लगी है। सभी 70 सीटों पर 632 उम्मीदवार मैदान में हैं। जिसमें 155 निर्दलीय प्रत्याशी हैं जबकि 477 सियासी दलों के प्रत्याशी हैं। पहाड़ की पैदल यात्रा और मौसम का मूड हमेशा चुनौतियों भरा रहा है। वहीं प्रदेश की राजनीति भी कुछ ऐसी रही है कि ये पहाड़ी राज्य हर बार सत्ता में बदलाव करता रहा है। बीजेपी इस बार अपने किला को बचाने की कोशिश में है तो कांग्रेस पार्टी 2017 के परिणाम को बदलने की चाह में मैदान में जुटी है। वहीं राज्य की राजनीति को आम आदमी पार्टी की एंट्री ने दिलचस्प बना दिया है।

बीजेपी ने लगाया जोर

कांग्रेस की तुलना में बीजेपी के स्टार प्रचारक देवभूमि में ज्यादा सक्रिय दिखे। राज्य में बीजेपी के स्टार प्रचारकों ने पूरी ताकत के साथ 695 जनसभाएं की हैं। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई बड़े नेताओं की जनसभाएं शामिल हैं। इसके साथ ही नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, प्रहलाद जोशी, महेंद्र पांडे, वीके सिंह, शांतुन ठाकुर, अजय भट्ट, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, एमपी के शिवराज सिंह चौहान स्टार प्रचारकों में शामिल थे।सीएम योगी ने गढ़वाल मंडल में रैली की तो पीएम मोदी ने कुमांऊ में मोर्चा संभाला।
आपसी कलह से जूझ रही कांग्रेस

कांग्रेस में राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के अलावा राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला, राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ज्यादा सक्रिय नजर आए। इसके अलावा आपसी खींचतान और कलह ही वजह से कांग्रेस पूरी तरह से बदलाव की रवायत का फायदा उठाने में सफल नहीं होती दिख रही है। पूर्व सीएम हरीश रावत और उनके प्रतिद्ववंदी खेमे के बीच खींचतान लगातार जारी है।

आप की एंट्री

राज्य में आम आदमी पार्टी की एंट्री ने बीजेपी-कांग्रेस के बीच चली आ रही लड़ाई को इस बार त्रिकोणीय बना दिया है। आम ने राज्य की सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा केजरीवाल अपने दिल्ली मॉडल को उत्तराखंड में लागू करने की बात करते दिख रहे हैं। चाहे वो फ्री बिजली की बात हो या तीर्थ यात्रा का वादा।

चुनावी वादे और हकीकत के मुद्दे

उत्तराखंड चुनाव से पहले कई तरह के वादे और ऐलान हो चुके हैं। लेकिन उत्तराखंड के दुर्गम इलाके का कठिन जीवन, पलायन, बेरोजगारी और सड़क, पानी जैसे मुद्दों के अलावा राष्ट्रवाद जातिय समीकरण जैसे मुद्दे भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इस चुनाव में दल बदल भी खूब हुआ है जिसको लेकर जनता में नाराजगी भी है। चुनाव के आखिरी क्षणों में कॉमन सिविल कोड जैसी बातों के सहारे माहौल बनाने की कोशिश भी की गई है।

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