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Summer Conjunctivitis: गर्मियों में समर कंजंक्टिवाइटिस की समस्या से हो सकते हैं परेशान, जानिए कैसे करें बचाव

Summer Conjunctivitis: गर्मियों में समर कंजंक्टिवाइटिस की समस्या से हो सकते हैं परेशान, जानिए कैसे करें बचाव

गर्मियों के मौसम में हमारा स्वास्थ्य कई तरीके से प्रभावित होता है। तेज गर्मी और चिलचिलाती धूप का सीधा असर सेहत पर देखने को मिलता है। यही कारण है गर्मियों में कई बीमारियां और समस्याएं होने लगती हैं। वहीं इस मौसम में हीट स्ट्रोक या हीट एग्जॉस्शन लोगों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गर्मियों के मौसम में कंजंक्टिवाइटिस आपके लिए परेशानी का सबब बन सकती है। हालांकि अधिकतर मानसून में यह समस्या लोगों को अपना शिकार बनाती है।

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, समर कंजंक्टिवाइटिस को पिंक आई भी कहा जाता है। वहीं गर्म मौसम में कंजक्टाइवल इरिटेशन होता है। यह विभिन्न प्रकार के होते हैं और इन सभी के अलग-अलग लक्षण व कारण होते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको समर कंजंक्टिवाइटिस के बारे में बताने जा रहे हैं।

वायरल कंजंक्टिवाइटिस

यह वायरल एडेनोवायरस जैसे वायरस के कारण होता है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस के लक्षणों में आंखों का लाल होना, आंखों का किरकिरापन और पानी निकलना आदि शामिल है। वहीं संक्रमण के अधिक बढञने से रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस

आपको बता दें कि पालतू जानवरों की फर या बाल, धूल और पोलन आदि से होने वाली एलर्जी से एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस की समस्या हो सकती है। इसके होने पर आंखों में सूजन, पानी जैसा डिस्चार्ज, खुजली और लालिमा जैसी समस्या हो सकती है।

इरिटेंट कंजंक्टिवाइटिस

इरिटेंट कंजंक्टिवाइटिस हवा, धुएं या क्लोरीन जैसे उत्तेजक पदार्थों के कारण होने वाली जलन से होता है। इसमें आंखों में दर्द, लालिमा और आंसू आने लगते हैं।

बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस

बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस स्टैफिलोकोकस ऑरियस जैसे बैक्टीरिया की वजह से होता है। बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस होने पर हरे या पीले रंग का गाढ़ा डिस्चार्ज और आंखों में लालिमा जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। वहीं सोने के दौरान पलकें चिपक जाती हैं। यह वायरस आसानी से फैल सकता है।

ऐसे करें बचाव

कंजंक्टिवाइटिस से खुद का बचाव करने के लिए एंटीहिस्टामाइन और एलर्जी से दूर रहना चाहिए।

आमतौर पर वायरल कंजंक्टिवाइटिस खुद से सही हो जाता है, लेकिन आप ठंडी सिकाई और आंखों को चिकनाई देने वाली दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।

बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस होने पर पीड़ित व्यक्ति को एंटीबायोटिक आई ड्रॉप या ऑइंटमेंट्स का इस्तेमाल करना चाहिए।

इसके अलावा आप आंखों को साफ पानी से धोएं और जलन पैदा करने वाले पदार्थों से दूरी बनाकर रखें।

कंजंक्टिवाइटिस से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है। बार-बार हाथों को धोने और आंखों को छूने से बचना चाहिए।

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